मोबाइल संचार (Mobile Communication)-
- प्रत्येक मोबाइल उपभोक्ता (Subscriber) एक टॉवर (Tower) से जुड़ा होता है।
- टॉवर को बेस ट्रांस-रिसीवर स्टेशन (Base Trans-receiver Station- BTS) भी कहा जाता है।
- टॉवर के अधीन आने वाले क्षेत्र को सेल (Cell) कहा जाता है।
- सेल का आकार (Shape) षट्कोणीय (Hexagonal) होता है।
- ये टॉवर मोबाइल स्विचिंग सेंटर (Mobile Switching Center- MSC) से जुड़े होते हैं।
- मोबाइल स्विचिंग सेंटर (Mobile Switching Center- MSC) मोबाइल संचार का केंद्रीय भाग (Central Part) होता है।
- मोबाइल स्विचिंग सेंटर (Mobile Switching Center- MSC) में उपभोक्ता से संबंधित सभी सूचनाएं रखी जाती है।
- जब भी किसी उपभोक्ता के द्वारा कॉल लगाई जाती है तब एक पेजिंग रिकवेस्ट (Paging Request) भेजी जाती है जो विभिन्न टावर बेस ट्रांस-रिसीवर स्टेशन (BTS) से होती हुई मोबाइल स्विचिंग सेंटर (MSC) तक पहुंचती है। तत्पश्चात जिस व्यक्ति को कॉल लगाया गया है उस व्यक्ति की स्थिति का पता लगाया जाता है तथा उस व्यक्ति को कॉल स्थापित या जोड़ दी जाती है।
मोबाइल संचार में सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए उपयोग में ली जाने वाली तकनीक (Technology used to exchange information in mobile communication)-
- सूचना के आदान-प्रदान के लिए दो प्रकार की तकनीक का प्रयोग किया जाता है। (For Exchange of Information Two Types of Technology are Used) जैसे-
- 1. सर्किट स्विचिंग (Circuit Switching)
- 2. पैकेट स्विचिंग (Packet Switching)
1. सर्किट स्विचिंग (Circuit Switching)-
- यदि सूचनाओं के विनिमय (Exchange) के लिए एक निश्चित पथ या मार्ग (समर्पित सर्किट या चैनल)/ (Dedicated Circuit/ Channel) का प्रयोग किया जाए तो उसे सर्किट स्विचिंग कहा जाता है।
2. पैकेट स्विचिंग (Packet Switching)-
- पैकेट स्विचिंग में सर्वप्रथम सूचना को विभिन्न पैकेट्स (Different Packets) के रूप में विभाजित (Divided) कर दिया जाता है तत्पश्चात सूचनाओं के विनिमय (Exchange) के लिए सभी उपलब्ध पथ (Paths) या मार्ग (Routes) का प्रयोग किया जाये तो इसे पैकेट स्विचिंग कहा जाता है।
स्पेक्ट्रम उपयोग करने की विधियाँ (Techniques of Using Spectrum)-
- स्पेक्ट्रम उपयोग करने की 4 विधियाँ है। जैसे-
- 1. फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीपल एक्सेस (FDMA)
- 2. टाइम डिवीज़न मल्टीपल एक्सेस (TDMA)
- 3. कोड डिवीज़न मल्टीपल एक्सेस (CDMA)
- 4. ओर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीप्लेक्सिंग (OFDM)
1. फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीपल एक्सेस (FDMA)-
- FDMA Full Form = Frequency Division Multiple Access
- FDMA का पूरा नाम = फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीपल एक्सेस
- फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (FDMA) में आवृत्ति बैंड (Frequency Band) को विभिन्न चैनलों में विभाजित (Divided) किया जाता है और प्रत्येक उपभोक्ता (Subscriber) को एक निश्चित चैनल (Particular Channel) आवंटित (Allotted) किया जाता है।
- FDMA सबसे सरल तकनीक (Simplest Technique) है लेकिन इसकी क्षमता सीमित (Limited Capacity) होती है।
2. टाइम डिवीज़न मल्टीपल एक्सेस (TDMA)-
- TDMA Full Form = Time Division Multiple Access
- TDMA का पूरा नाम = टाइम डिवीज़न मल्टीपल एक्सेस
- टाइम डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (TDMA) में आवृत्ति बैंड (Frequency Band) को निश्चिचत चैनल में विभाजित (Divided) किया जाता है तत्पश्चात प्रत्येक उपभोक्ता (Subscriber) को एक निश्चित चैनल निश्चित समय (Specific Time) के लिए आवंटित (Allocated) किया जाता है।
- TDMA की क्षमता अपेक्षाकृत बेहतर (Comparatively Better) होती है.
3. कोड डिवीज़न मल्टीपल एक्सेस (CDMA)-
- CDMA Full Form = Code Division Multiple Access
- CDMA का पूरा नाम = कोड डिवीज़न मल्टीपल एक्सेस
- कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) में उपभोक्ता को कोई विशिष्ट आवृत्ति (Specific Frequency) चैनल या विशिष्ट समय (Specific Time) आवंटित नहीं किया जाता है। बल्कि उपलब्ध पूरे स्पेक्ट्रम (Entire Spectrum) का उपयोग किया जाता है।
- प्रत्येक ग्राहक या उपभोगकर्ता (User/ Subscriber) की सूचना को कोड स्वरूप में सम्प्रेषित (Transmitted) किया जाता है।
- CDMA की क्षमता अपेक्षाकृत बेहतर (Comparatively Better) होती है।
4. ओर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीप्लेक्सिंग (OFDM)-
- OFDM Full Form = Orthogonal Frequency Division Multiplexing
- OFDM का पूरा नाम = ओर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीप्लेक्सिंग
- ओर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग (OFDM) संचार की उन्नत तकनीक (Advanced Technique) है जिसमें विभिन्न उपभोक्ताओं से सूचना संकेतों को ऑर्थोगोनल स्वरूप (Orthogonal Pattern) में अतिव्यापित (Overlapped) या मल्टीप्लेक्सिंग (Multiplexing) किया जाता है ताकि शोर उत्पन्न (Interference) न हो और इस प्रकार एक साथ अनेक सूचनाओं को प्रेषित (Transmitted) किया जा सकता है।
- तत्पश्चात इन सूचना संकेतों का उच्च आवृत्ति की वाहक तरंग (High Frequency Carrier Wave) पर अध्यारोपण (Superimposed) कर मॉडुलेशन (Modulated) करवाया जाता है।
- इन सूचना संकेतों को रिसीवर छोर (Receiver's End) पर डीमॉडुलेटर (Demodulator) की सहायता से पनुः पृथक (Separated) कर लिया जाता है।
- ओर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीप्लेक्सिंग (OFDM) तकनीक में FDMA की भांति 'गार्ड बैंड' (Guard Bands) का उपयोग नहीं किया जाता है।
- ओर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीप्लेक्सिंग (OFDM) का उपयोग 4G, 5G, वाई-मैक्स (Wi-Max) आदि में किया जाता है।
ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन व कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस में अंतर (Difference between GSM and CDMA)-
- 1. ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM)
- 2. कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA)
1. ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM)-
- GSM Full Form = Global System for Mobile Communication
- GSM का पूरा नाम = ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन
- ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM) में TDMA तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
- TDMA Full Form = Time Division Multiple Access
- TDMA का पूरा नाम = टाइम डिवीजन मल्टीपल एक्सेस
- ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM) सिम आधारित तकनीक है।
- क्षमता- ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM) में क्षमता CDMA की अपेक्षाकृत कम होती है।
- गुणवत्ता- ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM) की गुणवत्ता CDMA की अपेक्षाकृत कम होती है।
- ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM) कम सुरक्षित है।
- ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM) यूरोपीय व एशियाई देशों में अधिक प्रचलित है।
2. कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA)-
- CDMA Full Form = Code Division Multiple Access
- CDMA का पूरा नाम = कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस
- कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस में CDMA तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
- कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) हैंडसेट आधारित तकनीक है।
- क्षमता- कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) की क्षमता GSM की अपेक्षाकृत उच्च होती है।
- गुणवत्ता- कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) की गुणवत्ता GSM की अपेक्षाकृत उच्च होती है।
- कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) अधिक सुरक्षित है।
- कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) USA व कनाडा में अधिक प्रचलित है।
राष्ट्रीय दूरसंचार नीतियाँ (National Telecom Policies)-
- दूरसंचार क्षेत्र (Telecom Sector) के लिए भारत सरकार ने अब तक 4 नीतियाँ बनायी है। जैसे-
- 1. राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 1994 (National Telecom Policy 1994)
- 2. राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 1999 (National Telecom Policy 1999)
- 3. राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 (National Telecom Policy 2012)
- 4. राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018 (National Digital Communication Policy 2018)
4. राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018 (National Digital Communication Policy 2018)-
- टेलीकॉम क्षेत्र में 100 अरब डालर का निवेश (Investment) आकर्षित किया जाएगा।
- टेलीकॉम सेक्टर (Telecom Sector) में 40 लाख रोजगार सृजित (Employment Opportunities) करना।
- प्रत्येक व्यक्ति को 50 Mbps की गति की इंटरनेट कनेक्टिविटी (Broadband Connectivity) प्रदान करना।
- सभी ग्राम पंचायतों (Gram Panchayat) को 2020 तक 1Gbps तथा 2022 तक 10Gbps की कनेक्टिविटी प्रदान करना।
- राष्ट्रीय फाइबर प्राधिकरण (National Fiber Authority) का गठन कर राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड (National Digital Grid) की स्थापना करना।
- GDP में डिजिटल संचार (Digital Communication) के योगदान (Contribution) को 6% से बढ़ाकर 8% करना। (6% -2017)
- ICT विकास सूचकांक (ICT Development Index) में भारत को शीर्ष 50 देशों में शामिल करना
- ICT Index = International Communication Technology Development Index
- ICT Index = इंटरनेशनल कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी डेवेलपमेंट इंडेक्स
- वर्ष 2017 में ICT विकास सूचकांक (ICT Development Index) में भारत विश्व में 134वें स्थान पर था।
महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-