सोशल मीडिया और OTT (Social Media & OTT)
- सोशल मीडिया (Social Media)
- ओवर द टॉप (Over The Top- OTT)
- सोशल मीडिया और OTT के प्रभाव (Impacts of Social Media & OTT)
सोशल मीडिया (Social Media)-
- सोशल मीडिया से तात्पर्य ऐसी वेबसाइट (Website) एवं एप्लिकेशंस (Applications) से है जो आभासी नेटवर्क (इंटरनेट) और समुदायों के माध्यम से विचारों और सूचनाओं को साझा करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
- सोशल मीडिया के उदाहरण- फेसबुक (Facebook), यूट्यूब (YouTube), व्हाट्सएप (WhatsApp), ट्विटर (Twitter)
ओवर द टॉप (Over The Top- OTT)-
- OTT का पूरा नाम अंग्रेजी में = Over The Top
- OTT का पूरा नाम हिन्दी में = ओवर द टॉप
- OTT का मतलब "ओवर द टॉप" है।
- OTT से तात्पर्य ऐसी स्ट्रीमिंग सेवा से है जो इंटरनेट के माध्यम से सीधे दर्शकों तक मीडिया कंटेंट पहुँचाती है।
- OTT परंपरागत रूप से मीडिया कंटेंट के नियंत्रक या वितरक के रूप में कार्य करने वाले केबल प्रसारक और सैटेलाइट टेलीविजन प्लेटफॉर्म की आवश्यकता को दूर करता है।
- इन्हे ऑनलाइन कंटेंट क्यूरेशन प्लेटफॉर्म (Online Content Curation Platforms -OCCPs) के नाम से भी जाना जाता है।
- OTT के उदाहरण- यूट्यूब (YouTube), नेटफ्लिक्स (Netflix), प्राइम वीडियो (Prime Video), हॉटस्टार (Hotstar)
सोशल मीडिया और OTT के प्रभाव (Impacts of Social Media and OTT)-
- (I) सकारात्मक प्रभाव (Positive Impacts)
- (II) नकारात्मक प्रभाव (Negative Impacts)
(I) सकारात्मक प्रभाव (Positive Impacts)-
- सोशल मीडिया ने समाज की परिभाषा को बदल दिया है। अब समाज भौगोलिक सीमाओं में सीमित नहीं रहा है।
- सोशल मीडिया और OTT के कारण विचारों का प्रवाह तीव्र गति से हो रहा है।
- सोशल मीडिया ने सामाजिक व राजनीतिक जागरूकता (Social and Political Awareness) में वृद्धि की है। जिससे कई सामाजिक व राजनीतिक क्रांतियों की शुरूआत हुई जैस- मी टू आंदोलन (Me too Movement), अरब स्प्रिंग (Arab Spring), भष्टाचार विरोधी आंदोलन (Anti Corruption Movement)
- सरकार के साथ नागरिकों का जुड़ाव बढ़ता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त बनाता है।
- प्रत्यक्ष (Direct) व अप्रत्यक्ष (Indirect) रोजगार सृजित हुए है।
- सोशल मीडिया का उपयोग अपने व्यवसाय की मार्केटिंग (Marketing) के लिए भी किया जा रहा है।
- किसी भी प्रकार के कौशल को सीखना आसान हुआ है तथा मध्यस्तों की भूमिका कम हुई है।
- कला व प्रतिभा को मंच प्राप्त हुआ है।
- व्यक्ति के जीवन में मनोरंजन के साधन बढ़े है व जीवन सरल हो गया है।
- आपदा के समय उपयोगी जानकारियों का प्रसार हो पाता है।
(II) नकारात्मक प्रभाव (Negative Impacts)-
- फेक न्यूज, अफवाहों तथा गलत जानकारियों का प्रसार (Spread of fake news, rumors and misinformation)-
- कानून एवं न्याय व्यवस्था प्रभावित होती है।
- राजनैतिक अस्थिरता फैलती है।
- सामाजिक सौहार्द एवं समरसता प्रभावित होती है।
- मित्र राष्ट्रों से संबंध प्रभावित होते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय छवि प्रभावित होती है।
- हिंसक व आपतिजनक कंटेंट का प्रसार (Dissemination of violent and objectionable/ inappropriate content)- युवाओं, महिलाओं, बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- निजी/ व्यक्तिगत जीवन में सामाजिक दखल बढ़ा है।
- निजता एवं डेटा चोरी संबंधी चिंताएं
- व्यक्ति एवं समुदायों के वैचारिक दृष्टिकोण को मेनिप्युलेट किया जाता है। जैसे- प्रोपेगेंडा फैलाना, साफ्ट पॉवर का दुरुपयोग
- सामाजिक ध्रुवीकरण एवं कट्टरता में वृद्धि
- साइबर बुलिंग (Cyber Bullying), ट्रांलिंग (Trolling)
- साइबर स्टॉकिंग (Cyber Stalking), ऑनलाइन हरासमेंट (Online Harassment)- महिला सुरक्षा नकारात्मक रूप से प्रभावित
- हेट स्पीच (Hate Speech)- सामाजिक सौहार्द प्रभावित होता है।, महिलाएं व LGBT समुदाय निशाने पर है।
- मानसिक रोग बढ़ रहें है। जैसे- अवसाद (Depression), अकेलापन (Loneliness), मोबाइल की लत (Mobile Addiction)
- आँखों पर नकारात्मक प्रभाव
- शारीरिक व्यायाम में कमी
IT Rules 2021- मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता 2021 (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code 2021)-
- निम्नलिखित के लिए मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता 2021 लागू किये गये है।
- सोशल मीडिया (Social Media)
- डिजिटल मीडिया (Digital Media)
- OTT (Over The Top)
सोशल मीडिया (Social Media)-
- मुख्य अनुपालना अधिकारी की नियुक्ति (Appoint Chief Compliance Officer)- भारत का निवासी हो तथा अधिनियम और नियमों की अनुपालना को सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी हो।
- नोडल संपर्क व्यक्ति की नियुक्ति (Appoint Nodal Contact Person)- भारत का निवासी हो तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चौबीसों घंटे समन्वय के लिए उत्तरदायी हो।
- शिकायत अधिकारी की नियुक्ति (Appoint Grievance Officer)- भारत का निवासी हो तथा शिकायत निवारण तंत्र के कार्यों को करने के लिए उत्तरदायी हो।
- सोशल मीडिया मासिक अनुपालना रिपोर्ट (Monthly Compliance Report) प्रकाशित करें जिसमें प्राप्त शिकायतों औन उन पर की गई कार्यवाही का विवरण हो।
- सूचना के प्रवर्तक की पहचान (Identification of The First Originator of The Information)- अदालत या सरकारी प्राधिकरण द्वारा मांगे जाने पर निम्नलिखित मामलों में पहचान बताएं-
- (I) भारत की संप्रभुता और अखंडता (Sovereignty and Integrity of India)
- (II) राष्ट्र की सुरक्षा (Security of The State)
- (III) विदेशी राष्ट्रों से मैत्रीपूर्ण संबंध (Friendly Relation with Foreign States)
- (IV) लोक व्यवस्था (Public Order)
- सुनवाई का उचित अवसर (Fair Opportunity to be Heard)- सोशल मीडिया उपयोगकर्ता के अकाउंट या आईडी को हटाने से पहले स्पष्टीकरण देने और अपना पक्ष रखने का उचित अवसर दें।
- उपयोगकर्ताओं की ऑनलाइन सुरक्षा और गरिमा (Online Safety and Dignity of Users)- व्यक्तिगत निजता और गरिमा के उल्लंघन के खिलाफ दर्ज करवाई गई शिकायत के संबंध में 24 घंटे के भीतर अकाउंट या आईडी या पोस्ट को सोशल मीडिया हटाएं।
डिजिटल मीडिया (Digital Media)-
- भारतीय प्रेस परिषद के 'पत्रकारिता आचारण' (Journalistic Conduct) के मानदंडों का पालन करें।
- 'केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट' (Cable TV Networks Regulation Act.) के तहत प्रोग्राम कोड (Program Code) का पालन करें।
- 3 स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र (3 Tier Grievance Redressal Mechanism)
OTT (Over The Top)- OTT Platforms
- कंटेंट को आयु आधारित 5 श्रेणियों में वर्गीकृत करें और इसकी रेटिंग को प्रमुखता से प्रदर्शित करें।
- आयु आधारित 5 श्रेणियां निम्नलिखित है।-
- (I) U/A (सर्वाभौमिक) (U/A Universal)
- (II) U/A (U/A 7+)
- (III) U/A 13+ पेरेंटल लॉक (U/A 13+ Parental Lock)
- (IV) U/A 16+ पेरेंटल लॉक (U/A 16+ Parental Lock)
- (V) A (वयस्क) / A (Adult)- आयु सत्यापन तंत्र (Age Verification Mechanism)
- 3 स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र (3 Tier Grievance Redressal Mechanism) होना चाहिए। जैसे-
- (I) टियर-1 (Tier-1)
- (II) टियर-2 (Tier-2)
- (III) टियर-3 (Tier-3)
(I) टियर-1 (Tier-1)-
- OTT या प्रकाशन के स्तर (OTT/ Publisher Level)- OTT Platforms द्वारा शिकायत निवारण अधिकारी (Appoint Grievance Redressal Officer) नियुक्त किया जाए जो 15 दिनों के भीतर प्राप्त प्रत्येक शिकायत पर निर्णय लें।
(II) टियर-2 (Tier-2)-
- स्व-नियामक निकाय (Self-Regulatory Body)-
- स्व नियामक निकाय OTT/ प्रकाशकों (OTT/ Publishers) द्वारा सामूहिक रूप से स्थापित किया जाये।
- स्व नियामक निकाय की संरचना- 6 सदस्य तथा 1 अध्यक्ष होना चाहिए।
- स्व नियामक निकाय का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होना चाहिए।
- स्व नियामक निकाय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) के तहत पंजीकरण होना चाहिए।
- स्व नियामक निकाय के कार्य (Functions of Self Regulatory Body)- 15 दिनों के भीतर GRO द्वारा संतोषजनक रूप से न देखी गयी शिकायतों की जाँच करना।
- स्व नियामक निकाय की शक्ति (Power of Self Regulatory Body)- स्व नियामक निकाय आपतिजनक सामग्री को सेंसर करने की शक्ति है।
टियर-3 (Tier-3)-
- निगरानी तंत्र (Oversight Mechanism)-
- निगरानी तंत्र सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) द्वारा विकसित तंत्र जिसके तहत शिकायतों की सुनवाई के लिए एक अंतरविभागीय समिति की स्थापना की जाएगी जो साथ ही साथ स्व-नियामक निकायों की कार्यप्रणाली संबंधी नियमों का एक चार्टर तैयार करेगी।
आपातकालीन शक्ति (Emergency Power)-
- आपातकालीन परिस्थितियों में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) के सचिव डिजिटल प्रकाशन या OTT प्लेटफॉर्म को सुनवाई का अवसर दिए बिना कंटेंट ब्लॉक करने का आदेश दे सकते हैं।