भारत के प्रमुख अंतरिक्ष मिशन (Important Space Mission of India)

भारत के प्रमुख अंतरिक्ष मिशन (Important Space Mission of India)-

  • 1. चंद्रयान-1 (Chandrayaan- 1)
  • 2. चंद्रयान- 2 (Chandrayaan- 2)
  • 3. चंद्रयान- 3 (Chandrayaan- 3)

  • 4. मंगलयान (Mangalyaan)
  • 5. ऐस्ट्रोसैट (Astrosat)

  • 6. गगनयान (Gaganyaan)
  • 7. आदित्य L-1 मिशन (Aditya L-1 Mission)
  • 8. निसार (NISAR)
  • 9. इंडियन स्पेस स्टेशन (Indian Space Station)


1. चंद्रयान- 1(Chandrayaan- 1)-

  • चंद्रयान-1 भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन (Interplanetary mission) था।
  • चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को प्रक्षेपित किया गया था।
  • 29 अगस्त 2009 के बाद ISRO का चंद्रयान-1 से संपर्क टूट गया था।
  • चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह पह लावा निर्मित गुफाओं का पता लगाया था।
  • चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह पर अपोलो मिशन के प्रभावों का अध्ययन किया था।


2. चंद्रयान- 2 (Chandrayaan- 2)-

  • चंद्रयान-2 को प्रक्षेपण यान GSLV MK3 के द्वारा 22 जुलाई 2019 को सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था।
  • चंद्रयान-2 मिशन के अंतिम क्षणों में ISRO का विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। लेकिन ऑर्बिटर 7.5 वर्ष के लिए सक्रिय रहेगा।
  • यदि भारत का चंद्रयान-2 मिशन सफल हो जाता तो भारत विश्व में पहला ऐसा देश बना जाता जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना लैंडर लैंड करवाता।
  • यदि भारत का चंद्रयान-2 मिशन सफल हो जाता तो पहले ही प्रयास में लैंडर लैंड करवाने वाला विश्व का पहला देश होता।


चंद्रयान-2 मिशन के उद्देश्य (Objectives of Chandrayaan-2 Mission)-

  • (I) चंद्रमा की सतह का नक्शा तैयार करना।
  • (II) चंद्रमा पर खनिज संसाधनों का पता लगाना।
  • (III) चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति का पता लगाना।


चंद्रयान-2 मिशन के भाग (Parts of Chandrayaan-2 Mission)-

  • चंद्रयान-2 मिशन के तीन भाग है। जैसे-
  • (I) ऑर्बिटर (Orbiter)
  • (II) विक्रम लैंडर (Vikram Lander)
  • (III) प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover)


(I) ऑर्बिटर (Orbiter)-

  • ऑर्बिटर चंद्रमा के चारो ओर चक्कर लगाएगा।
  • ऑर्बिटर के उपर 8 पेलोड लगाये गये थे।

  • ऑर्बिटर को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया गया था। अतः अब ऑर्बिटर 7.5 वर्षों तक सक्रिय रहेगा।

  • भारत विश्व का चौथा ऐसा देश है जिसने अपना ऑर्बिटर चंद्रमा के चारो ओर चक्कर लगाने के लिए सफलता पूर्व प्रक्षेपित कर रखा है।


ऑर्बिटर पर लगाये गये 8 पेलोड में से कुछ प्रमुख पेलोड निम्नलिखित है-

  • 1. ऑर्बिटर हाई रेजोल्यूशन कैमरा (Orbiter High Resolution Camera)
  • 2. टेरेन मैपिंग कैमरा (Terrain Mapping Camera)
  • 3. चंद्रयान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट X-Ray स्पेक्ट्रोमीटर (Chandrayaan-2 Large Area Soft X-Ray Spectrometer- CLASS]
  • 4. चंद्रयान-2 एटमॉस्फेरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर (Chandrayaan-2 Atmospheric Compositional Explorer- CACE)
  • 5. इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (Imaging IR Spectrometer)


(II) विक्रम लैंडर (Vikram Lander)-

  • विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास नियंत्रित (Controlled Manner) लैंडिग करना था लेकिन विक्रम लैंडर क्रैश लैंडिंग कर गया था जिसके कारण विक्रम लैंडर से ISRO का संपर्क टूट गया था।।
  • विक्रम लैंडर पर 3 पेलोड लगाये गये थे।


(III) प्रज्ञान रोवर ( Pragyan Rover)-

  • प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर अनुसंधान व प्रयोग करेगा।
  • प्रज्ञान रोवर पर 2 पेलोड लगाये गये थे।

  • विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग होने के बाद प्रज्ञान रोवर से भी इसरो का संपर्क टूट गया था।


चंद्रयान-2 मिशन के महत्व (Significance of Chandrayaan- 2)-

  • 1. चंद्रयान-2 मिशन अंतरिक्ष, सौर मंडल, पृथ्वी व चंद्रमा की बेहतर समझ और अध्ययन में मदद करेगा-
  • चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव कम धूप प्राप्त करता है इसलिए बर्फ के रूप में पानी मौजूद हो सकता है।
  • कम तापमान, कम धूप, अतः क्रेटर में सौर मंडल के आरम्भकाल के जीवाश्म रिकॉर्ड हो सकते हैं।
  • 2. राष्ट्रीय गौरव (चंद्रमा के चारो ओर चक्कर लगाने के लिए ऑर्बिटर को सफलतापूर्व प्रक्षेपित करने वाला विश्व का चौथा देश भारत है।)
  • 3. वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ता है।
  • 4. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति युवाओं को प्रेरित और आकर्षित करना।
  • 5. मिशन में महिलाओं की भागीदारी से महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहन मिला है।
  • 6. यह नवाचारों को बढ़ावा देगा।
  • 7. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और ISRO की साख में वृद्धि होगी।


3. चंद्रयान- 3 (Chandrayaan- 3)-

  • चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्रमा अभियान है।
  • चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का उत्तराधिकारी मिशन है।
  • चंद्रयान-3 में लैंडर (Lander) और रोवर (Rover)शामिल होंगे।
  • चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की जाएगी।
  • चंद्रयान-3 का अपेक्षित लॉन्च 2023 में किया जाएगा।
  • चंद्रयान-3 मिशन में प्रक्षेपण यान GSLV MK 3 का उपयोग किया जाएगा।
  • केंद्र सरकार ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए ISRO को 600 करोड़ रुपये का बजट दिया है।


4. मंगलयान (Mangalyaan)- 

  • मंगलयान एक मार्स ऑर्बिटर मिशन (Mars Orbiter Mission- MOM) है।
  • मंगलयान मिशन 5 नवम्बर 2013 को प्रक्षेपण यान PSLV-XL C25 के द्वारा सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था।
  • 24 सितम्बर 2014 को मंगलयान ने मंगल ग्रह की कक्षा (Mars Orbit) में प्रवेश किया था।

  • मंगलयान मंगल ग्रह के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षा (Elliptical Orbit) में चक्कर लगा रहा है जिसका परिक्रमण काल लगभग 77 घंटे है।
  • भारत मंगल ग्रह के चारो ओर ऑर्बिटर को सफलतापूर्व प्रक्षेपित करने वाला विश्व का चौथा देश है।
  • मंगल ग्रह के चारो ओर ऑर्बिटर को सफलतापूर्व प्रक्षेपित करने वाला पहला देश अमेरिका है, दूसरा देश रूस है तथा तीसरा देश यूरोप (ESA) है।
  • भारत ने यह सफलता प्रथम प्रयास में तथा कम लागत पर प्राप्त की है।
  • हाल ही में ISRO का मंगलयान से संपर्क टूट गया था।


5. ऐस्ट्रोसैट (Astrosat)-

  • एस्ट्रोसैट ISRO के द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित खगोलीय वेधशाला (Astronomical Observatory) है।
  • ISRO ने ऐस्ट्रोसैट को निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) में 650 किलोमीटर पर प्रक्षेपित किया गया है।
  • इसरो ने ऐस्ट्रोसैट को सितंबर 2015 में प्रक्षेपित किया था।
  • ऐस्ट्रोसैट एक मल्टी वेवलेंथ स्पेस टेलीस्कोप (Multi Wavelength Space Telescope) है जो एक ही समय में एक से अधिक प्रकार की तरंगों का अध्ययन कर सकती है जैसे कॉस्मिक तरंगें, X-तरंगे, पराबैंगनी तरंगे आदि।
  • ऐस्ट्रोसैट विश्व की पहली ऐसी खगोलीय वेधशाला है जो एक ही समय में एक से अधिक प्रकार की तरंगों (मल्टी वेवलेंथ) का अध्ययन कर सकती है।
  • भारत अंतरिक्ष में खगोलीय वेधशाला प्रक्षेपित करने वाला विश्व का 5वां देश है।
  • अंतरिक्ष में खगोलीय वेधशाला प्रक्षेपित करने वाला विश्व का पहला देश अमेरिका है, दूसरा देश यूरोपीय संघ (European Space Agency- EAS), तीसरा देश रूस है तथा चौथा देश जापान है।


6. गगनयान (Gaganyaan)-

  • गगनयान 'इंडियन ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम' (Indian Human Space Flight Programme) के तहत विकसित इंडियन क्रूड ऑर्बिटल स्पेसक्राफ्ट (Indian Crewed Orbital Spacecraft) है।
  • गगनयान ISRO का मानव मिशन है।
  • गगनयान मिशन के तहत 3-4 व्यक्तियों को 5-7 दिन तक अंतरिक्ष में निम्न भू कक्षा (300-400 किलोमीटर) में भेजा जाएगा।
  • गगनयान के प्रक्षेपण के लिए ISRO के द्वारा GSLV MK3 का उपयोग किया जाएगा।
  • गगनयान मिशन के लिए भारत सरकार के द्वारा इसरो को 10,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
  • गगनयान का संभावित प्रक्षेपण वर्ष 2023 है।
  • भारत के अंतरिक्ष यात्री व्योमनॉट (Vyomnaut) कहा जाएगा।


गगनयान में प्रयुक्त प्रमुख तकनीकी (Important Technologies Used in Gaganyaan)-

  • गगनयान में प्रयुक्त की गई प्रमुख तकनीकी निम्नलिखित है।-
  • (I) एनवायरमेंट कंट्रोल एंड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (Environmental Control and Life Support System- ECLSS)
  • (II) क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक री-एंट्री एक्सपेरिमेंट (Crew Module Atmospheric Re-entry Experiment- CARE) स्पेसक्राफ्ट
  • (III) क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System- CES)


गगनयान मिशन की चुनौतियां (Challenges of Gaganyaan Mission)-

  • गगनयान मिशन की चुनौतियां निम्नलिखित है।-
  • 1. वित्त (10,000 करोड़)
  • 2. तकनीकी चुनौतियां-
    • (I) प्रक्षेपण संबंधित चुनौतिया जैसे प्रक्षेपण यान, लॉन्च पैड
    • (II) अंतरिक्ष में व्योमनॉट्स की सुरक्षा
    • (III) कनेक्टिविटी (Connectivity)
    • (IV) व्योमनॉट्स की सुरक्षित वापसी
  • 3. व्योमनॉट्स के लिए अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र तैयार करना।
  • 4. व्योमनॉट्स के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव (शारीरिक व मनोवैज्ञानिक)
  • 5. अंतरिक्ष मलबे की समस्या
  • 6. वातावरण प्रदूषण की समस्या


गगनयान मिशन का महत्व (Significance of Gaganyaan Mission)-

  • गगनयान मिशन अंतरिक्ष और पृथ्वी (संरचना, वातावरण) की बेहतर समझ में सहायक होगा।
  • गगनयान मिशन से राष्ट्रीय का गौरव बढ़ेगा।
  • भारत अंतरिक्ष में मानव मिशन करने वाला विश्व का चौथा देश होगा।
  • अंतरिक्ष में मानव मिशन करने वाला विश्व का पहला देश अमेरिका है, दूसरा देश रूस है तथा तीसरा देश चीन है।
  • वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ेगा।
  • अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी के प्रति युवा आकर्षित एवं प्रेरित होंगे।
  • मिशन में महिलाओं की भागीदारी से महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहन मिलेगा। जैसे- वैज्ञानिक, इंजीनियर, व्योमनॉट आदि स्थानों पर महिला होने पर।
  • उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • नये रोजगार सृजित होंगे।
  • नवाचारों को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • तकनीकी के क्षेत्र में भारत व ISRO की साख में वृद्धि होगी।


7. आदित्य L1 मिशन (Aditya L1 Mission)-

  • ISRO के द्वारा सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य L1 मिशन चलाया जाएगा।
  • आदित्य L1 मिशन प्रक्षेपण यान PSLV-XL की सहायता से प्रभामंडल कक्षा (Halo Orbit) में लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (Lagrangian Point) पर प्रक्षेपित किया जाएगा।
  • आदित्य L1 मिशन का संभावित प्रक्षेपण वर्ष 2023 है।


सूर्य की परतें-

  • सूर्य की 6 परतें है जो निम्नलिखित है।-
  • 1. किरीट या कोरोना (Corona)- तापमान लगभग = 10,00,000 डिग्री (सबसे बाहीय परत)
  • 2. क्रोमोस्फीयर (Chromosphere)- तापमान लगभग = 4,000 से 10,000 डिग्री
  • 3.  फोटोस्फीयर (Photosphere) तापमान लगभग = 6000 डिग्री
  • 4. संवहन क्षेत्र (Convection Zone)
  • 5. विकिरण क्षेत्र (Radiative Zone)
  • 6. कोर (Core) (सबसे आंतरिक परत)


आदित्य L1 मिशन के उद्देश्य (Objectives of Aditya L1 Mission)-

  • 1. सूर्य की तीन परतें कोरोना, क्रोमोस्फीयर, फोटोस्फीयर का अध्ययन करना।
  • 2. सूर्य से उत्सर्जित होने वाले कणों का अध्ययन करना।
  • 3. चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तनों का अध्ययन करना।


आदित्य L1 मिशन 7 पेलोड युक्त है जिसमें से कुछ प्रमुख पेलोड निम्नलिखित है।-

  • 1. विज़िबल एमिशन लाइन कॅरोनोग्राफ (Visible Emission Line Coronagraph- VELC)
  • 2. सोलर अल्ट्रा-वॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (Solar Ultraviolet Imaging Telescope- SUIT)
  • 3. आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (Aditya Solar Wind Particle Experiment- ASPEX)
  • 4.  प्लाज़्मा एनालाइज़र पैकेज फॉर आदित्य (Plasma Analyser Package for Aditya- PAPA)
  • 5. चुम्बकत्वमापी या मैग्नेटोमीटर (Magnetometer)


8. निसार मिशन (NISAR Mission)-

  • NISAR = NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar
  • NISAR = नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार 
  • निसार मिशन NASA तथा ISRO की संयुक्त परियोजना है।
  • निसार सेटेलाइट अब तक की विश्व की सबसे महंगी अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट (Earth Imaging Satellite) है।
  • निसार सैटेलाइट पृथ्वी की स्कैनिंग (Scanning) के लिए सूक्ष्मतरंगों (Microwaves) का उपयोग करता है। जैसे- S-बैंड, L-बैंड
  • निसार सैटेलाइट को सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (Sun Synchronous Orbit) में प्रक्षेपित किया जाएगा।
  • निसार सैटेलाइट का संभावित प्रक्षेपण वर्ष 2023 है।


निसार मिशन के उद्देश्य (Objectives of NISAR Mission)-

  • 1. पृथ्वी के क्रमिक विकास का अध्ययन करना।
  • 2. पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करना।
  • 3. पृथ्वी पर जोखिम या आपदा प्रंबधन जैसे भूकंप (Earthquake), सुनामी (Tsunami), ज्वालामुखी (Volcano), भूस्खलन (Landslides) आदि का अध्ययन करना।


9. इंडियन स्पेस स्टेशन (Indian Space Station)-

  • इंडियन स्पेश स्टेशन निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit) में प्रक्षेपित किया जाएगा। (400 किलोमीटर पर)
  • इंडियन स्पेस स्टेशन का भार 20 टन होगा।
  • इंडियन स्पेस स्टेशन का उपयोग अंतरिक्ष अनुसंधान (Space Exploration and Research) में किया जाएगा।
  • इंडियन स्पेस स्टेशन का संभावित प्रक्षेपण वर्ष 2030 है।


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