- उपग्रह के प्रकार (Types of Satellite)
उपग्रह के प्रकार (Types of Satellite)-
- 1. सुदूर संवेदी उपग्रह (Remote Sensing Satellite)
- 2. संचार उपग्रह (Communication Satellite)
- 3. नौवहन उपग्रह (Navigation Satellite)
- 4. अंतरिक्ष अनुसंधान उपग्रह (Space Exploration Satellite) या अंतरिक्ष विज्ञान उपग्रह (space science satellite)
1. सुदूर संवेदी उपग्रह (Remote Sensing Satellite)-
- किसी वस्तु के भौतिक संपर्क में आए बिना उसके बारे में जानकारियां प्राप्त करना ही सुदूर संवेदन कहलाता है।
- सुदूर संवेदन के लिए उपयोग में लिए जाने वाले उपग्रह ही सुदूर संवेदी उपग्रह कहलाते हैं।
- सुदूर संवेदी उपग्रहों को सामान्यतः निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) में ही प्रक्षेपित किया जाता है।
- निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) में प्रक्षेपित सुदूर संवेदी उपग्रहों का आवृत काल (परिक्रमण काल) 90-128 तक हो सकता है।
- सुदूर संवेदी उपग्रह पर विभिन्न प्रकार के कैमरे, स्कैनर व सेंसर लगे होते हैं जो सूक्ष्म तरंगों, अवरक्त तरंगों, दृश्य तरंगों का प्रयोग करते हैं।
सुदूर संवेदी उपग्रह में लगने वाले उपक्रण-
- लाइन इमेजिंग सेल्फ स्क्रीनिंग कैमरा (Line Imaging Self Screening Camera)
- वाइड फील्ड सर्वे (Wide Field Survey)
- पेन क्रोमेटिक कैमरा (Pan Chromatic Camera)
- ओशन कलर कैमरा (Ocean Color Camera)
- वेरी हाई रेजोल्यूशन स्पेक्ट्रोमीटर या रेडियोमीटर (Very High Resolution Spectrometer/ Radiometer)
सुदूर संवेदी उपग्रह के उपयोग (Uses of Remote Sensing Satellite)-
- सुदूर संवेदी उपग्रह का उपयोग संशाधनों का आंकलन करने में किया जाता है। जैसे- वन, मरुस्थल, कृषि, जल, समुद्र, खनिज आदि।
- सुदूर संवेदी उपग्रह का उपयोग मौसम अनुसंधान में किया जाता है।
- आपदा प्रबंधन जैसे- चेतावनी, आंकलन, खोज, बचाव आदि के लिए सुदूर संवेदी उपग्रह का उपयोग किया जाता है।
- शहरी विकास के लिए सुदूर संवेदी उपग्रह का उपयोग किया जाता है।
- ग्रामीण विकास के लिए सुदूर संवेदी उपग्रह का उपयोग किया जाता है।
- जासूसी व निगरानी के लिए सुदूर संवेदी उपग्रह का उपयोग किया जाता है।
IRS-1A
- IRS-1A = Indian Remote Sensing Satellite-1A
- IRS-1A = भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह-1A या इंडियन रिमोट सेंसिग सैटेलाइट-1A
- सन् 1988 में भारत का पहला सुदूर संवेदी उपग्रह 'IRS-1A' USSR की मदद से प्रक्षेपित किया गया था।
भारत में सुदूर संवेदी उपग्रह-
- वर्तमान में भारत में कुल 17 सुदूर संवेदी उपग्रह सक्रिय है।
- 17 में से कुछ प्रमुख सुदूर संवेदी उपग्रह निम्नलिखित है।-
- (I) ResourceSAT
- (II) OceanSAT
- (III) CartoSAT
- (IV) RISAT
- (V) Saral
- (VI) EOS
- (VII) MetSAT
(I) ResourceSAT-
- ResourceSAT उपग्रह का उपयोग संसाधनों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
(II) OceanSAT-
- OceanSAT उपग्रह का उपयोग समुद्री संसाधनों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
(III) CartoSAT-
- CartoSAT उपग्रह का उपयोग मानचित्रीकरण तथा अर्थ इमेजिंग के लिए किया जाता है।
- CartoSAT उपग्रह सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (Sun Synchronous Orbit) में प्रक्षेपित किया जाता है।
(IV) RISAT-
- RISAT = Radar Imaging Satellite
- RISAT = रडार इमेजिंग सैटेलाइट
- RISAT उपग्रह का उपयोग पृथ्वी के अवलोकन या अर्थ ऑब्जर्वेशन (Earth Observation) के लिए किया जाता है।
(V) SARAL-
- SARAL = Satellite with ARGOS and ALTIKA
- 'SARAL' भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO तथा फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी CNES की संयुक्त परियोजना है।
- ARGOS और ALTIKA (SARAL) उपग्रह का उपयोग समुद्र विज्ञान का अध्ययन किया जाता है। (मिशन महासागरीय अध्ययन)
- ARGOS तथा ALTIKA (SARAL) के साथ उपग्रह एक संयुक्त भारत फ्रेंच उपग्रह है।
- CNES = Centre National D'Etudes Spatiales (The National Centre for Space Studies)
SARAL के अनुप्रयोग-
- समुद्री मौसम विज्ञान एवं समुद्री राज्य पूर्वानुमान
- परिचालनात्मक महासागर
- मौसमी पूर्वानुमान
- जलवायु निगरानी
- महासागर, पृथ्वी प्रणाली एवं जलवायु अनुसंधान
- महाद्वीपीय बर्फ का अध्ययन
- जैव विविधता का संरक्षण
- समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का प्रबंधन और संरक्षण
- पर्यावरण की निगरानी
- समुद्री सुरक्षा में सुधार
SARAL की अन्य जानकारी-
- आरंभ तिथि- 25 फरवरी 2013
- लॉन्च मास- 407 किलोग्राम
- मिशन लाइफ- 5 वर्ष
- क्षमता- 906 डब्ल्यू
- लॉन्च वाहन- PSLV-C20/ SARAL
- लॉन्च साइट- SDSC SHAR Centre, Sriharikota, India
- उपग्रह का प्रकार- भू प्रेक्षण
- निर्माता- ISRO
- मालिक- ISRO
- आवेदन- जलवायु तथा पर्यावरण भू प्रेक्षण
- कक्षा- 781 km ध्रुवीय सूर्य तुल्यकालिक
(VI) EOS-
- EOS = Earth Observation Satellites
- EOS = पृथ्वी अवलोकन उपग्रह
(VII) METSAT (Kalpana 1)-
- METSAT = Meteorological Satellite
- METSAT = मौसम विज्ञान उपग्रह या मौसमविज्ञानीय उपग्रह
- METSAT को ही कल्पना 1 के नाम से भी जाना जाता है।
- METSAT उपग्रह भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में प्रक्षेपित सुदूर संवेदी उपग्रह है।
- METSAT उपग्रह का उपयोग मौसम की जानकारी तथा वातावरण के अध्ययन के लिए किया जाता है।
2. संचार उपग्रह (Communication Satellite)-
- संचार प्रक्रिया में प्रयुक्त उपग्रह संचार उपग्रह कहलाते हैं।
- संचार उपग्रहों को सामान्यतः भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में प्रक्षेपित किया जाता है।
- भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में संचार उपग्रह का आवर्तकाल (परिक्रमण काल) 24 घंटे होता है।
- संचार उपग्रहों पर ट्रांसपोंडर (Transponders) लगे होते हैं।
- संचार उपग्रहों पर लगे ट्रांसपोंडर अपलिंक (Uplink) व डाउनलिंक (Downlink) के द्वारा संचार सुनिश्चित करते हैं।
- भारत में संचार उपग्रहों के तहत INSAT तथा GSAT श्रेणी के उपग्रह प्रक्षेपित किए गए थे।
- INSAT = Indian National Satellite
- INSAT = भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह
- GSAT = Geostationary Satellite
- GSAT = भूस्थिर उपग्रह
संचार उपग्रह का उपयोग (Uses of Communication Satellite)-
- संचार उपग्रह का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जाता है।-
- 1. दूरसंचार
- 2. दूरदर्शन या टेलीविजन प्रसारण
- 3. DTH सेवाओं की प्रदायगी
- 4. दूरस्थ शिक्षा (Tele Education)
- 5. दूरस्थ चिकित्सा (Tele Medicine)
INSAT-1A
- INSAT-1A = Indian National Satellite-1A
- INSAT-1A = भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह-1A
- 10 अप्रैल 1982 को अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने भारत का संचार उपग्रह INSAT-1A प्रक्षेपित किया था।
- INSAT-1A उपग्रह का प्रक्षेपण असफल रहा था।
- INSAT-1A भारत का पहला (असफल) संचार उपग्रह था।
INSAT-1B
- 30 अगस्त 1983 को अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने भारत का संचार उपग्रह INSAT-1B प्रक्षेपित किया था।
- INSAT-1B उपग्रह का प्रक्षेपण सफल रहा था।
- INSAT-1B भारत का पहला संचार उपग्रह था।
भारत में संचार उपग्रह-
- वर्तमान में भारत में कुल 21 संचार उपग्रह सक्रिय है।
- 21 संचार उपग्रह में से प्रमुख संचार उपग्रह निम्नलिखित है।
- (I) एंग्री बर्ड उपग्रह (Angry Bird Satellite)
- (II) रुक्मिणी उपग्रह (Rukmini Satellite)
- (III) ग्रामसैट उपग्रह (GRAMSAT Satellite)
- (IV) एडुसैट उपग्रह (EDUSAT Satellite)
(I) एंग्री बर्ड उपग्रह (Angry Bird Satellite)-
- एन्ग्री बर्ड उपग्रह का उपयोग वायु सेना (Air Force) के लिए किया जाता है।
(II) रुक्मिणी उपग्रह (Rukmini Satellite)-
- रुक्मिणी उपग्रह का उपयोग नौसेना (Navy) के लिए किया जाता है।
(III) ग्रामसैट उपग्रह (GRAMSAT Satellite)-
- ग्रामसैट उपग्रह का उपयोग ग्रामीण विकास, दूरसंचार व दूरस्थ शिक्षा के लिए किया जाता है।
(IV) एडुसैट उपग्रह (EDUSAT Satellite)-
- एडुसैट उपग्रह का उपयोग दूरस्थ शिक्षा के लिए किया जाता है।
3. नौवहन उपग्रह (Navigation Satellite)-
- उपग्रह नौवहन एक ऐसी प्रणाली है जिसमें उपग्रहों का उपयोग कर किसी वस्तु की भू-स्थानिक (Geo-spatial) अवस्थिति पता की जाती है।
- नौवहन उपग्रह से वस्तु के अंक्षाश (Latitude), देशांतर (Longitude), ऊंचाई (Altitude) का पता लगाया जा सकता है।
- वस्तु की त्रिविमीय (Three Dimensional) स्थिति का पता लगाने के लिए न्यूनतम 4 उपग्रहों की आवश्यकता होती है।
- सम्पूर्ण पृथ्वी पर नौवहन के लिए 24 उपग्रह आवश्यक होते हैं।
नौवहन तंत्र के अवयव (Components of Navigation System)-
- नौवहन तंत्र के 3 मुख्य अवयव होते हैं। जैसे-
- (I) स्पेस सेगमेंट (Space Segment), नौवहन उपग्रह (Navigation Satellite)
- (II) कंट्रोल सेगमेंट (Control Segment)
- (III) यूजर सेगमेंट (User Segment)
नौवहन प्रणाली की सेवाएं (Services of Navigation System)-
- नौवहन प्रणाली दो प्रकार की सेवा प्रदान करती है।
- (I) स्टैंडर्ड पोजीशन सर्विस (Standard Position Service)
- (II) रिस्ट्रिक्टेड सर्विस (Restricted Service)
(I) स्टैंडर्ड पोजीशन सर्विस (Standard Position Service)-
- नौवहन प्रणाली की स्टैंडर्ड पोजीशन सर्विस आम नागरिकों को दी जाती है।
(II) रिस्ट्रिक्टेड सर्विस (Restricted Service)-
- नौवहन प्रणाली की रिस्ट्रिक्टेड सर्विस सेना व महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों को दी जाती है।
विश्व के प्रमुख नौवहन तंत्र (Navigation Systems in The World)-
- (I) GPS (जीपीएस)
- (II) GLONASS (ग्लोनास)
- (III) Galileo (गैलीलियो)
- (IV) BeiDou (बेईडौ)
- (V) NavIC/IRNSS (नाविक)
- (VI) QZSS (क्यूजेडएसएस)
(I) GPS (जीपीएस)-
- GPS = Global Positioning System
- GPS = विश्व की स्थिति निर्धारण व्यवस्था या ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम
- GPS अमेरिका का नौवहन तंत्र (Navigation System) है।
- GPS को NAVSTAR भी कहते हैं।
- NAVSTAR = Navigational System Tracking and Range
- NAVSTAR = नेविगेशनल सिस्टम ट्रैकिंग और रेंज
- GPS का नियंत्रण अमेरिका की वायुसेना के पास है।
- सन् 1978 में GPS प्रणाली का पहला उपग्रह प्रक्षेपित किया गया था।
- सन् 1995 में GPS प्रणाली ने पूर्ण रूप से कार्य करना आरम्भ कर दिया था।
- GPS प्रणाली में कुल 32 उपग्रह है।
- GPS प्रणाली के कुल 32 उपग्रह मध्य भू कक्षा (Medium Earth Orbit- MEO) में प्रक्षेपित किए गए है।
(II) GLONASS (ग्लोनास)-
- GLONASS = Global Navigation Satellite System
- GLONASS = ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम
- GLONASS रूस का नौवहन तंत्र (Navigation System) है।
(III) Galileo (गैलीलियो)-
- GALILEO यूरोपीय संघ का नौवहन तंत्र (Navigation System) है।
(IV) BeiDou (बेईडौ)-
- BEIDOU चीन का नौवहन तंत्र (Navigation System) है।
(V) NavIC/ IRNSS (नाविक)-
- NAVIC = Navigation With Indian Constellation
- NAVIC = भारतीय नक्षत्र के साथ नेविगेशन या नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन
- NAVIC/ IRNSS भारत का नौवहन तंत्र (Navigation System) है। अर्थात् NAVIC/ IRNSS भारत की क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली है।
- NAVIC को IRNSS के नाम से भी जाना जाता था।
- IRNSS = Indian Regional Navigation Satellite System
- IRNSS = भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली या इंडियन रीजनल नेविगेश सैटेलाइट सिस्टम
- NAVIC भारत की सीमा से 1500 किलोमीटर की परास (Range) में नौवहन सुविधा उपलब्ध करवाता है।
- NAVIC पूरी तरह से भारत सरकार के नियंत्रण में है।
- NavIC प्रणाली में अभी तक 9 उपग्रह प्रक्षेपित किए गए है। जिसमें से 7 उपग्रह वर्तमान में सक्रिय है।
- NavIC प्रणाली में के तहत 7 सक्रिय उपग्रहों में से 3 उपग्रह भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) प्रक्षेपित किए गए है तथा 4 उपग्रह भू-तुल्यकालिन कक्षा (Geosynchronous Orbit- GEO) में प्रक्षेपित किए गए है।
NavIC/ IRNSS (नाविक) के अनुप्रयोग (Applications of NavIC)-
- भारत की नौवहन प्रणाली नाविक के निम्नलिखित अनुप्रयोग है।-
- (I) स्थलीय, हवाई व समुद्री नौवहन के लिए
- (II) मोबाइल फोन में नौवहन के लिए
- (III) मैपिंग व भू-सर्वेक्षण के लिए
- (IV) आपदा प्रबंधन में
- (V) वाहनों की ट्रैकिंग, फ्लीट मैनेजमेंट में
- (VI) सटीक समय निर्धारण में
NavIC/ IRNSS (नाविक) के महत्व (Significance of NavIC)-
- भारत की नौवहन प्रणाली नाविक के निम्नलिखित महत्व है।-
- (I) नौवहन में नागरिक व सैन्य स्तर पर आत्मनिर्भरता होगी।
- (II) डेटा सुरक्षित रह पायेगा।
- (III) बेहतर सीमा सुरक्षा एवं सीमा प्रबंधन होगा।
- (IV) बेहतर भू-सर्वेक्षण हो पायेगा।
- (V) आपदा प्रबंधन बेहतर होगा।
- (VI) सार्क देशों में भारत के कद में वृद्धि होगी।
- (VII) आय में वृद्धि होगी।
(VI) QZSS (क्यूजेडएसएस)-
- QZSS जापान का नौवहन तंत्र (Navigation System) है।
वर्तमान में वैश्विक नौवहन प्रणालियाँ-
- वर्तमान में वैश्विक स्तर पर 4 नौवहन प्रणालियाँ चल रही है। जैसे-
- (I) GPS (जीपीएस)- अमेरिका
- (II) GLONASS (ग्लोनास)- रूस
- (III) Galileo (गैलीलियो)- यूरोपीय संघ
- (IV) BeiDou (बेईडौ)- चीन
वर्तमान में क्षेत्रीय नौवहन प्रणालियाँ-
- वर्तमान में विश्व में दो क्षेत्रीय नौवहन प्रणालियाँ चल रही है। जैसे-
- (V) NavIC/IRNSS (नाविक)- भारत
- (VI) QZSS (क्यूजेडएसएस)- जापान
गगन (GAGAN)-
- गगन GPS ऐडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन सिस्टम है।
- गगन ISRO व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Airport Authority of India) की संयुक्त परियोजना है।
- गगन उपग्रहों व ग्राउंड स्टेशन से युक्त प्रणाली है।
- गगन प्रणाली GPS संकेतों का उन्नयन करती है जिसके कारण GPS की गुणवत्ता व सटीकता में वृद्धि होती है।
- गगन से भारतीय उड़ान सूचना क्षेत्र में बेहतर नौवहन सेवाएं प्रदान की जा सकती है।
गगन के अनुप्रयोग (Applications of GAGAN)-
- गगन के अनुप्रयोग निम्नलिखित है।-
- (I) वायु परिवहन में
- (II) GEMINI एप्लीकेशन में
- GEMINI = Gagan Enabled Mariner’s Instrument for Navigation and Information
- GEMINI = गगन इनेबल्ड मेरिनर्स इंस्ट्रूमेंट फॉर नेविगेशन एंड इंफॉर्मेशन
- (III) मिसाइल नौवहन में (ब्रह्मोस मिसाइल में गगन का उपयोग किया गया है।)
- (IV) वन सर्वेक्षण में (कर्नाटक वन विभाग के द्वारा गगन का उपयोग किया गया है।)
4. अंतरिक्ष अनुसंधान उपग्रह (Space Exploration Satellite) या अंतरिक्ष विज्ञान उपग्रह (space science satellite)
- अंतिरिक्ष के अध्ययन के लिए मुख्यतः 4 प्रकार के मिशन प्रक्षेपित किए जाते हैं। जैसे -
- (I) फ्लाई बाई मिशन (Flyby Mission)
- (II) ऑर्बिट (Orbiter)
- (III) लैंडर (Lander)
- (IV) रोवर (Rover)
(I) फ्लाई बाई मिशन (Flyby Mission)-
- फ्लाई बाई मिशन अंतरिक्ष में किसी खगोलीय पिंड के पास से गुजरते हुए सूचना एकत्रित करता है।
- उदाहरण- नासा का मैसेंजर मिशन बुध ग्रह के लिए
(II) ऑर्बिट (Orbiter)-
- ऑर्बिट मिशन अंतरिक्ष में किसी खगोलीय पिंड के चारों और चक्कर लगाते हुए सूचनाएं एकत्रित करता है।
- उदाहरण- ISRO का चंद्रयान व मंगलयान
(III) लैंडर (Lander)-
- लैंडर मिशन किसी खगोलीय पिंड की सतह पर लैंड करता है तथा एक ही स्थान पर रहते हुए सूचनाएं एकत्रित करता है।
- उदाहरण- नासा का इनसाइट मिशन मंगल ग्रह के लिए।
(IV) रोवर (Rover)-
- रोवर मिशन किसी खगोलीय पिंड की सतह पर गति करते हुए सूचनाएं एकत्रित करता है।
- उदाहरण- नासा का परसिवरेन्स रोवर मंगल ग्रह के लिए