प्रणोदक व क्रायोजेनिक स्टेज (Propellant and Cryogenic Stage)

प्रणोदक व क्रायोजेनिक स्टेज (Propellant and Cryogenic Stage)- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology)

  • प्रणोदक (Propellant)
  • प्रणोदक के प्रकार (Types of Propellant)
  • क्रायोजेनिक इंजन का संक्षिप्त इतिहास (Brief History of Cryogenic Engine)
  • क्रायोजेनिक तकनीक समझौता
  • क्रायोजेनिक अपर स्टेज प्रोग्राम (Cryogenic Upper Stage Project)
  • क्रायोजेनिक इंजन (Cryogenic Engine)

  • क्रायोजेनिक इंजन के लाभ (Benefits of Cryogenic Engine)

  • क्रायोजेनिक इंजन की चुनौतियां (Challenges of Cryogenic Engine)


प्रणोदक (Propellant)-

  • ईंधन और ऑक्सीकारण को संयुक्त रूप से प्रणोदक कहते हैं।
  • प्रणोदक = ईंधन + ऑक्सीकारण
  • Propellant = Fuel + Oxidizer
  • प्रक्षेपण यान या रॉकेट संवेद संरक्षण के सिद्धांत (Principle of Momentum Conservation) पर कार्य करता है।
  • जब ईंधन को ऑक्सीकारक की उपस्थिति में दहन किया जाता है तो भारी मात्रा में गर्म दाबित गैसें नीचे की ओर उत्सर्जित होती है। जिससे रॉकेट को ऊपर की ओर बल (प्रणोद) मिलता है।


प्रणोदक के प्रकार (Types of Propellant)-

  • 1. ठोस प्रणोदक (Solid Propellant)
  • 2. तरल या द्रव प्रणोदक (Liquid Propellant)
  • 3. क्रायोजेनिक स्टेज (Cryogenic Stage)


1. ठोस प्रणोदक (Solid Propellant)-

  • ठोस प्रणोदक में ईंधन के रूप में 'हाइड्रॉक्सिल टर्मिनल पॉली ब्यूटाडाइन' तथा ऑक्सीकारक के रूप में 'अमोनियम परक्लोरेट' का उपयोग किया जाता है।
  • ईंधन = हाइ़ड्रॉक्सिल टर्मिनल पॉली ब्यूटाडाइन
  • Fuel = Hydroxyl Terminated Poly Butadiene (HTPB)
  • ऑक्सीकारक = अमोनियम परक्लोरेट
  • Oxidizer = Ammonium Perchlorate


2. तरल या द्रव प्रणोदक (Liquid Propellant)-

  • तरल या द्रव प्रणोदक दो प्रकार का होता है। जैसे-
  • (I) लोअर स्टेज प्रणोदक (Lower Stage Propellant)
  • (II) अपर स्टेज प्रणोदक (Upper Stage Propellant) 


(I) लोअर स्टेज प्रणोदक (Lower Stage Propellant)-

  • लोअर स्टेज प्रणोदक में ईंधन के रूप में अनसिमिट्रिकल डाई मेथिल हाइड्रोजन तथा ऑक्सीकारण के रूप में नाइड्रोजन पराक्साइड का उपयोग किया जाता है।
  • ईंधन = अनसिमिट्रिकल डाई मेथिल हाइड्रोजन
  • Fuel = Unsymmetrical Di Methyl Hydrazine (UDMH)
  • ऑक्सीकारक = नाइट्रोजन पराक्साइड
  • Oxidizer = Nitrogen Peroxide


(II) अपर स्टेज प्रणोदक (Upper Stage Propellant)-

  • अपर स्टेज प्रणोदक में ईंधन के रूप में मोनो मिथाइल हाइड्रोजीन तथा ऑक्सीकारक के रूप में नाइट्रोजन के ऑक्साइड का उपयोग किया जाता है।
  • ईंधन = मानो मिथाइल हाइड्रोजीन
  • Fuel = Mono Methyl Hydrazine (MMH)
  • ऑक्सीकारक = नाइट्रोजन के ऑक्साइड
  • Oxidizer = Oxides of Nitrogen


3. क्रायोजेनिक स्टेज (Cryogenic Stage)-

  • क्रायोजेनिक स्टेज के प्रणोदक में ईंधन के रूप में तरल हाइड्रोजन (-253℃) तथा ऑक्सीकारक के रूप में तरल ऑक्सीजन (-183℃/ -195℃) का उपयोग किया जाता है।
  • ईंधन = तरल हाइड्रोजन
  • Fuel = Liquid Hydrogen
  • ऑक्सीकारक- तरल ऑक्सीजन
  • Oxidizer = Liquid Oxygen


क्रायोजेनिक इंजन का संक्षिप्त इतिहास (Brief History of Cryogenic Engine)-

  • क्रायोजेनिक तकनीक समझौता
  • क्रायोजेनिक अपर स्टेज प्रोग्राम (Cryogenic Upper Stage Project)
  • क्रायोजेनिक इंजन (Cryogenic Engine)


क्रायोजेनिक तकनीक समझौता-

  • सन् 1990 में भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO तथा GLAVKOSMOS (रूस) के मध्य क्रायोजेनिक तकनीक के हस्तांतरण से संबंधित समझौता हुआ था।
  • GLAVKOSMOS सोवियत संघ (USSR) की अंतरिक्ष एजेंसी ROSCOSMOS का ही एक भाग है।
  • सन् 1991 में सोविय संघ (USSR) के विघटन के बाद रूस MTCR का सदस्य था लेकिन भारत MTCR का सदस्य नहीं था इसीलिए अमेरिका के दबाव के कारण रूस को भारत से क्रायोजेनिक तकनीक समझौता 1990 रद्द करना पड़ा था।
  • MTCR = मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था
  • MTCR = Missile Technology Control Regime (मिसाइल टेक्नोलॉजी कण्ट्रोल रेजिमे)
  • सन् 1993 में भारत तथा रूस के मध्य नया समझौता हुआ जिसके तहत रूस भारत को 7 क्रायोजेनिक इंजन प्रदान करेगा।

  • वर्तमान में भारत MTCR का सदस्य है।


क्रायोजेनिक अपर स्टेज प्रोग्राम (Cryogenic Upper Stage Project)-

  • सन् 1994 में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के द्वारा महेन्द्रगिरी (तमिलनाडु) में क्रायोजेनिक अपर स्टेज प्रोग्राम की शुरुआत की गई।


क्रायोजेनिक इंजन (Cryogenic Engine)-

  • सन् 2014 में भारत ने स्वदेशी निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया था। जैसे- CE-7.5 (Cryogenic Engine- 7.5), CE-20 (Cryogenic Engine- 20)
  • भारत क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करने वाला विश्व का छठा देश है।
  • ISRO के द्वारा विकसित CE-20 (Cryogenic Engine-20) विश्व में अब तक का सबसे शक्तिशाली क्रायोजेनिक इंजन है।

  • ISRO के द्वारा CE-25 (Cryogenic Engine-25) परीक्षणाधीन है।
  • भारत का पहला क्रायोजेनिक इंजन CE-7.5 है।
  • भारत का दूसरा क्रायोजेनिक इंजन CE-20 है।


क्रायोजेनिक इंजन के लाभ (Benefits of Cryogenic Engine)-

  • क्रायोजेनिक इंजन अति उच्च मात्रा में प्रणोद (बल) उत्पन्न करता है। अर्थात् 1.5 से 2 गुना लम्बी दूरी के अंतरग्रहीय मिशन कर सकता है। तथा ज्यादा भारी सैटेलाइट को अपने साथ ले जाने में सक्षम है।
  • हाइड्रोजन व ऑक्सीजन प्रकृति में प्रचुर व सहज रूप से उपलब्ध है। क्रायोजेनिक इंजन में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीकारक के रूप में ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है।
  • क्रायोजेनिक इंजन में सह-उत्पाद के रूप में जल (गर्म दाबित भाप) प्राप्त होता है। अतः क्रायोजेनिक इंजन अधिक इको फ्रेंडली है।
  • क्रायोजेनिक इंजन दोहरी उपयोग तकनीक है। अर्थात् क्रायोजेनिक तकनीक का उपयोग सैटेलाइट लॉन्च करने तथा मिसाइल बनाने में किया जा सकता है।
  • क्रायोजेनिक इंजन के उपयोग से रेवेन्यू में वृद्धि होती है।
  • क्रायोजेनिक इंजन के उपयोग से अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में भारत व ISRO की साख में वृद्धि होगी।


क्रायोजेनिक इंजन की चुनौतियां (Challenges of Cryogenic Engine)-

  • (I) तापीय चुनौती (Thermal Challenge)
  • (II) संरचनात्मक चुनौती (Structural Challenge)
  • (III) महंगी तकनीक (Expensive Technology)


(I) तापीय चुनौती (Thermal Challenge)-

  • क्रायोजेनिक इंजन में ईंधन के रूप में 'तरल हाइड्रोजन' व ऑक्सीजकारक के रूप में 'तरल ऑक्सीजन' को अति न्यून तापमान पर रखा जाता है। वहीं दहन कक्ष में अति उच्च ताप व दाब परिस्थितियां उत्पन्न होती है। यह तापमान की पूर्णतः अलग प्रावस्थाएं है।


(II) संरचनात्मक चुनौती (Structural Challenge)-

  • तरल ऑक्सीजन अत्यधिक क्रियाशील होती है। अतः यह आवश्यक है की तरल ऑक्सीजन व तरल हाइड्रोजन केवल दहन कक्ष में ही संपर्क में आए।


(III) महंगी तकनीक (Expensive Technology)-

  • क्रायोजेनिक तकनीक अत्यधिक महंगी तकनीक है।

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