उपग्रह की कक्षाएं (Orbit of Satellite)

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology)- उपग्रह की कक्षाएं (Orbit of Satellite)-

  • 1. निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO)
  • (I) ध्रुवीय कक्षा (Polar Orbit)
  • (II) सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (Sun Synchronous Orbit- SSO)
  • 2. मध्यम भू कक्षा (Middle Earth Orbit- MEO)
  • 3. भू-तुल्यकालिन कक्षा (Geosynchronous Orbit- GEO)
  • (I) भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit)
  • 4. भू-तुल्यकालिक या भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous/ Geostationary Transfer Orbit- GTO)
  • 5. होहमन स्थानांतरण कक्षा (Hohmann Transfer Orbit)
  • 6. ग्रेवयार्ड कक्षा (Graveyard Orbit)


कक्षा (Orbit)-

  • कोई भी खगोलीय पिंड अथवा उपग्रह जो किसी अन्य खगोलीय पिंड की परिक्रमा कर रहा हो तो उसका काल्पनिक पथ ही कक्षा कहलाता है।


कक्षा के प्रकार (Types of Orbit)-

  • 1. निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO)
  • (I) ध्रुवीय कक्षा (Polar Orbit)
  • (II) सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (Sun Synchronous Orbit)
  • 2. मध्यम भू कक्षा (Middle Earth Orbit- MEO)
  • 3. भू-तुल्यकालिन कक्षा (Geosynchronous Orbit- GEO)
  • (I) भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit)
  • 4. भू-तुल्यकालिक या भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous/ Geostationary Transfer Orbit- GTO)
  • 5. होहमन स्थानांतरण कक्षा (Hohmann Transfer Orbit)
  • 6. ग्रेवयार्ड कक्षा (Graveyard Orbit)


1. निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO)-

  • पृथ्वी से ऊपर की ओर 160 km से लेकर 2000 km के बीच की दूरी को ही निम्न भू कक्षा कहते हैं। अर्थात् निम्न भू कक्षा 160-2000 km की ऊंचाई पर अवस्थित है।
  • निम्न भू कक्षा का उपयोग मुख्यतः 900 km से 1000 km के बीच किया जाता है।
  • निम्न भू कक्षा में उपग्रह का परिक्रमण काल 90 से 128 मिनट तक होता है।
  • निम्न भू कक्षा का उपयोग मुख्यतः सुदूर संवेदी उपग्रहों के लिए किया जाता है। परन्तु इसका उपयोग संचार व नौवहन उपग्रहों के लिए भी किया जा सकता है।
  • निम्न भू कक्षा उपयोग मुख्यतः-
  • (I) सुदूर संवेदन के लिए
  • (II) जासूसी व निगरानी के लिए
  • (III) वातावरण व जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए
  • निम्न भू कक्षा का उपयोग साउंडिंग रॉकेट, परीक्षण उपग्रहों के लिए भी किया जाता है। जैसे- स्पुतनिक, आर्यभट्ट, भास्कर आदि।
  • इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी निम्न भू कक्षा में अवस्थित है।
  • इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से 400 km की दूरी पर अवस्थित है।
  • इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के प्रतिदिन 15 चक्कर लगाता है।


(I) ध्रुवीय कक्षा (Polar Orbit)-

  • ध्रुवीय कक्षा निम्न भू कक्षा का ही एक विशेष प्रकार है।

  • ध्रुवीय कक्षा पृथ्वी के ध्रुवीय अक्ष के समानांतर होती है।


(II) सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (Sun Synchronous Orbit)-

  • सूर्य तुल्यकालिक कक्षा निम्न भू कक्षा का ही एक विशेष प्रकार है।
  • सूर्य तुल्यकालिक कक्षा में उपग्रह की कक्षा का झुकाव सूर्य के सापेक्ष स्थिर रहता है।
  • सूर्य तुल्यकालिक कक्षा में उपग्रह समान अक्षांश पर समान स्थानीय समय पर पहुँचता है।
  • सूर्य तुल्यकालिक कक्षा का विशेष उपयोग पृथ्वी के मानचित्रीकरण (Cartography) व इमेजिंग में किया जाता है।


2. मध्यम भू कक्षा (Middle Earth Orbit- MEO)-

  • पृथ्वी से ऊपर की ओर 2000 km से लेकर 35786 km के बीच की दूरी को ही मध्यम भू कक्षा कहते हैं।
  • मध्यम भू कक्षा निम्न भू कक्षा व भू-तुल्यकालिक कक्षा के मध्य अवस्थित होती है।
  • मध्यम भू कक्षा में मुख्यतः 20,200 km ऊंचाई का उपयोग किया जाता है।
  • मध्यम भू कक्षा में उपग्रह का परिक्रमण काल 2 घंटे से 24 घंटे तक होता है।
  • मध्यम भू कक्षा का उपयोग मुख्यतः नौवहन उपग्रहों के लिए किया जाता है। जैसे- नेविगेशन सैलेलाइट GPS (अमेरिका), GLONASS (रूस), GALILEO (यूरोपीय यूनियन)


3. भू-तुल्यकालिन कक्षा (Geosynchronous Orbit- GEO)-

  • पृथ्वी से ऊपर की ओर 35,786 km की दूरी पर ही भू-तुल्यकालिन कक्षा अवस्थित होती है।
  • भू-तुल्यकालिक कक्षा में पृथ्वी का परिभ्रमण काल तथा उपग्रह का परिक्रमण काल समान होता है। अर्थात् उपग्रह का परिक्रमण काल 1 दिन (23 घंटे, 56 दिन, 4 सेंकड) होता है।
  • भू-तुल्यकालिक कक्षा का उपयोग मुख्यतः संचार उपग्रहों के लिए किया जाता है। परन्तु भू-तुल्यकालिक कक्षा में नौवहन उपग्रह भी प्रक्षेपित किए जा सकते हैं। जैसे- इंडिया का नेविगेशन सिस्टम NAVIC/ IRNSS


(I) भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit)-

  • भूस्थिर कक्षा भू-तुल्यकालिक कक्षा का ही एक विशेष प्रकार है।
  • भूस्थिर कक्षा पृथ्वी के विषुवत रेखीय तल के समांतर होती है।
  • भूस्थिर कक्षा में उपग्रह पृथ्वी के सापेक्ष सदैव स्थिर प्रतीत होता है।
  • भूस्थिर कक्षा का उपयोग मुख्यतः संचार उपग्रहों के लिए किया जाता है। परन्तु भूस्थिर कक्षा को नौवहन अथवा सुदूर संवेदन हेतु भी प्रयुक्त किया जा सकता है।


4. भू-तुल्यकालिक या भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous/ Geostationary Transfer Orbit- GTO)-

  • भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा या भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा भू-तुल्यकालिक कक्षा अथवा भूस्थिर कक्षा से लगभग 200 km नीचे अवस्थित होती है।

  • प्रारम्भ में संचार उपग्रह को भू-तुल्यकालिक या भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में प्रक्षेपित किया जाता है। इसके बाद संचार उपग्रह को भूस्थिर कक्षा में स्थानांतरित कर दिया जाता है।


5. होहमन स्थानांतरण कक्षा (Hohmann Transfer Orbit)-

  • होहमन स्थानांतरण कक्षा एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा है।

  • होहमन स्थानांतरण कक्षा का उपयोग किसी उपग्रह को एक वृत्ताकार कक्षा से दूसरी वृत्ताकार कक्षा में स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।


6. ग्रेवयार्ड कक्षा (Graveyard Orbit)-

  • ग्रेवयार्ड कक्षा पृथ्वी से ऊपर की ओर 36,050 km की दूरी पर अवस्थित है।
  • ग्रेवयार्ड कक्षा भू-तुल्यकालिक कक्षा से लगभग 300 km ऊपर है।
  • ग्रेवयार्ड कक्षा को जंक कक्षा (Junk Orbit) या डिस्पोजल कक्षा (Disposal Orbit) भी कहते हैं।


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