प्रक्षेपण यान या रॉकेट (Launch Vehicle)-
- प्रक्षेपण यान (Launch Vehicle)
- प्रक्षेपण यान के प्रकार (Types of Launch Vehicles)
- 1. ऐतिहासिक प्रक्षेपण यान (Historical Launch Vehicles)
- 2. वर्तमान प्रक्षेपण यान (Operational Launch Vehicles)
- 3. भविष्य के प्रक्षेपण यान (Futuristic Launch Vehicles)
प्रक्षेपण यान (Launch Vehicle)-
- प्रक्षेपण यान या रॉकेट इंजन प्रणोदित वाहन है।
- प्रक्षेपण यान या रॉकेट इंजन का उपयोग पेलोड (जैसे- सैटेलाइट, उपकरण आदि) को पृथ्वी की सतह से पृथ्वी की कक्षा या अंतरिक्ष तक ले जाने के लिए किया जाता है।
प्रक्षेपण यान के प्रकार (Types of Launch Vehicles)-
- प्रक्षेपण यान का तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। जैसे-
- 1. ऐतिहासिक प्रक्षेपण यान (Historical Launch Vehicles)
- 2. वर्तमान प्रक्षेपण यान (Operational Launch Vehicles)
- 3. भविष्य के प्रक्षेपण यान (Futuristic Launch Vehicles)
1. ऐतिहासिक प्रक्षेपण यान (Historical Launch Vehicles)-
- ऐतिहासिक प्रक्षेपण यान की श्रेणी में ऐसे प्रक्षेपण यान शामिल है जिनका उपयोग पहले किया गया था। जैसे-
- (I) SLV
- (II) ASLV
(I) SLV-
- SLV = Satellite Launch Vehicles
- SLV = उपग्रह प्रक्षेपण यान या सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल
- SLV प्रथम पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है।
- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में SLV का विकास किया गया था।
- सन् 1979 में SLV (SLV-1) का पहला परीक्षण किया गया था जो की असफल रहा।
- सन् 1980 में SLV (SLV-2) का दूसरा परीक्षण किया गया था जो की सफल रहा।
- SLV में 4 स्टेज ठोस प्रणोदक का उपयोग किया गया है।
- SLV 40 से 50 किलोग्राम के सैटेलाइट को निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit-LEO) में स्थापित करने में सक्षम था।
- SLV के माध्यम से रोहिणी श्रंखला (Rohini Series) के सैटेलाइट प्रक्षेपित किए गए थे। जैसे- सन् 1980 में SLV-3 से RS-1 सैटेलाइट का प्रक्षेपित किया गया था।
(II) ASLV-
- ASLV = Augmented Satellite Launch Vehicle
- ASLV = संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान या ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल
- ASLV दूसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है।
- इसरो के द्वारा ASLV का प्रयोग सन् 1987 से 1994 के बीच किया गया था।
- ASLV में 5 स्टेज ठोस प्रणोदक का उपयोग किया गया है।
- ASLV 140 से 150 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) में स्थापित करने में सक्षम था।
- ASLV के माध्यम से स्ट्रेच्ड रोहिणी उपग्रह श्रंखला (Stretched Rohini Satellite Series- SROSS) के सैटेलाइट प्रक्षपित किए गए थे।
2. वर्तमान प्रक्षेपण यान (Operational Launch Vehicles)-
- वर्तमान प्रक्षेपण यान की श्रेणी में ऐसे प्रक्षेपण यान शामिल है जिनका उपयोग भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के द्वारा वर्तमान में किया जा रहा है। जैसे-
- (I) PSLV
- (II) GSLV
(I) PSLV-
- PSLV = Polar Satellite Launch Vehicle
- PSLV = ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान या पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल
- PSLV तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है।
- भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO का मुख्य प्रक्षेपण यान PSLV ही है।
- भारत में इसरो के द्वारा सन् 1994 से वर्तमान तक PSLV का उपयोग कि जा रहा है।
- PSLV में 4 स्टेज प्रणोदक का प्रयोग होता है। जैसे- (ठोस प्रणोदक, द्रव प्रणोदक, ठोस प्रणोदक, द्रव प्रणोदक)
- PSLV में अधिकत 6 स्ट्रैप ऑन बूस्टर का उपयोग किया जा सकता है।
- स्ट्रैप ऑन बूस्टर (Strap on Booster) में ठोस प्रणोदक (Solid Propellant) का उपयोग होता है।
- PSLV में ठोस स्टेज में S-139 इंजन (S139 Engine) का उपयोग होता है।
- PSLV में द्रव स्टेज में विकास इंजन (Vikas Engine) का उपयोग होता है।
PSLV के प्रकार (Types of PSLV)-
- PSLV के तीन प्रकार है। जैसे-
- (A) PSLV- कोर अलोन (PSLV Core Alone)
- (B) PSLV- ग्राउंड या स्टैंडर्ड (PSLV Ground/ Standard)
- (C) PSLV- एक्सट्रा लार्ज (PSLV Extra Large/ PSLV-XL)
(A) PSLV- कोर अलोन (PSLV Core Alone)-
- कोर अलोन प्रकार के PSLV में 4 स्टेज प्रणोदक प्रयुक्त होता है। जैसे- ठोस प्रणोदक, द्रव प्रणोदक, ठोक प्रणोदक, द्रव प्रणोदक
- कोर अलोन प्रकार के PSLV में कोई भी स्ट्रैप ऑन बूस्टर का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- कोल अलोन प्रकार का PSLV 1100 किलोग्राम वजन तक के सैटेलाइट को निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) तक ले जाने में सक्षम है।
(B) PSLV- ग्राउंड या स्टैंडर्ड (PSLV Ground/ Standard)-
- ग्राउंड या स्टैंडर्ड प्रकार के PSLV में 4 स्टेज प्रणोदक प्रयुक्त होता है। जैसे- ठोस प्रणोदक, द्रव प्रणोदक, ठोक प्रणोदक, द्रव प्रणोदक
- ग्राउंड या स्टैंडर्ड प्रकार के PSLV में 6 स्ट्रैप ऑन बूस्टरों का प्रयोग किया जाता है।
- ग्राउंड या स्टैंडर्ड प्रकार के PSLV में प्रयुक्त 6 स्ट्रैप ऑन बूस्टरों में 9 टन ठोस प्रणोदक प्रयुक्त होता है।
- ग्राउंड या स्टैंडर्ड प्रकार का PSLV 1680 किलोग्राम वजन तक के सैटेलाइट को निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) तक ले जाने में सक्षम है।
(C) PSLV- एक्सट्रा लार्ज (PSLV Extra Large/ PSLV-XL)-
- एक्सट्रा लार्ज प्रकार के PSLV में 4 स्टेज प्रणोदक प्रयुक्त होता है। जैसे- ठोस प्रणोदक, द्रव प्रणोदक, ठोस प्रणोदक, द्रव प्रणोदक
- एक्सट्रा लार्ज प्रकार के PSLV में 6 स्ट्रैप ऑन बूस्टर का प्रयोग किया जाता है।
- एक्सट्रा लार्ज प्रकार के PSLV में प्रयुक्त 6 स्ट्रैप ऑन बूस्टरों में 12 टन ठोस प्रणोदक प्रयुक्त होता है।
- एक्सट्रा लार्ज प्रकार का PSLV 1800 किलोग्राम वजन तक के सैटेलाइट को निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) तक ले जाने में सक्षम है।
(II) GSLV-
- GSLV = Geosynchronous Satellite Launch Vehicle
- GSLV = भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान या जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल
- GSLV चौथी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है।
- GSLV इसरो का सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान है।
- इसरो के द्वारा सन् 2001 से वर्तमान तक GSLV का प्रयोग किया जा रहा है।
- GSLV में 3 स्टेज प्रणोदक का उपयोग होता है। जैसे- ठोस प्रणोदक, द्रव प्रणोदक, क्रायोजेनिक प्रणोदक
- GSLV में 4 स्ट्रैप ऑन बूस्टर (Strap-on Booster) का उपयोग किया जा सकता है।
- GSLV में प्रयुक्त 4 स्ट्रैप ऑन बूस्टरों में द्रव प्रणोदक का उपयोग किया जाता है।
- GSLV में ठोस स्टेज में S-200 इंजन (S-200 Engine) का उपयोग किया जाता है।
- GSLV में द्रव स्टेज में विकास इंजन (Vikas Engine) का उपयोग किया जाता है।
- GSLV में क्रायोजेनिक स्टेज में क्रायोजेनिक-7.5 (CE-7.5) तथा क्रायोजेनिक-20 (CE-20) इंजन का उपयोग किया जाता है।
GSLV के प्रकार (Types of GSLV)-
- GSLV के तीन प्रकार है। जैसे-
- (A) GSLV Mark-I (GSLV MK-1)
- (B) GSLV Mark-II (GSLV MK-2)
- (C) GSLV Mark-III (GSLV MK-3)
(A) GSLV Mark-I (GSLV MK-1)-
- GSLV MK-1 = Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Makr-1
- GSLV MK-1 = भू-समकालिक उपग्रह यान संस्करण-1
- GSLV MK-1 में 3 स्टेज प्रणोदक का उपयोग किया जाता है।
- GSLV MK-1 में रूसी KVD इंजन (Russian KVD Engine) का उपयोग किया जाता है।
- GSLV MK-1 1.5 टन के उपग्रह को भू-तुल्यकालिक या भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous/ Geostationary Transfer Orbit- GTO) में ले जाने में सक्षम है।
(B) GSLV Mark-II (GSLV MK-2)-
- GSLV MK-2 = Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Makr-2
- GSLV MK-2 = भू-समकालिक उपग्रह यान संस्करण-2
- GSLV MK-2 में 3 स्टेज प्रणोदक का उपयोग किया जाता है।
- GSLV MK-2 में क्रायोजेनिक इंजन-7.5 इंजन (CE-7.5 Engine) का उपयोग किया जाता है।
- GSLV MK-2, 2.5 टन के उपग्रह को भू-तुल्यकालिक या भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous/ Geostationary Transfer Orbit- GTO) में ले जाने में सक्षम है।
- GSLV MK-2, 5 टन के उपग्रह को निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) में ले जाने में सक्षम है।
(C) GSLV Mark-III (GSLV MK-3)-
- GSLV MK-3 = Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Makr-3
- GSLV MK-3 = भू-समकालिक उपग्रह यान संस्करण-3
- वर्तमान में GSLV MK-3 का नाम बदलकर LVM-3 कर दिया गया है।
- LVM-3 = Launch Vehicle Mark-3
- LVM-3 = लॉन्च व्हीकल मार्क-3
- इसरो का सबसे भारी रॉकेट लॉन्च व्हीकल LVM-3 है।
- LVM-3 इसरो का सबसे भारी रॉकेट लॉन्च व्हीकल होने के कारण LVM-3 को इसरो का बाहुबली भी कहा जाता है।
- LVM-3 में 3 स्टेज प्रणोदक का उपयोग किया जाता है।
- LVM-3 में क्रायोजेनिक इंजन-20 इंजन (CE-20 Engine) का उपयोग किया जाता है।
- LVM-3, 4 टन के उपग्रह को भू-तुल्यकालिक या भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous/ Geostationary Transfer Orbit- GTO) में ले जाने में सक्षम है।
- LVM-3, 10 टन के उपग्रह को निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) में ले जाने में सक्षम है।
3. भविष्य के प्रक्षेपण यान (Futuristic Launch Vehicles)-
- भविष्य के प्रक्षेपण यान श्रेणी में ऐसे प्रक्षेपण यान शामिल है जिसका उपयोग ISRO के द्वारा भविष्य में किया जायेगा। जैसे-
- (I) RLV
- (II) SSLV
- (III) NGLV
(I) RLV-
- RLV = Reusable Launch Vehicle
- RLV = रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल
- विश्व में RLV का सबसे पहले सफल परीक्षण अमेरिक की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) ने किया था तथा दूसरा सफल परीक्षण भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने किया था।
- PSLV, GSLV जैसे पारंपरिक प्रक्षेपण यान को केवल एक बार ही उपयोग में लिया जा सकता है। इसी कारण से प्रक्षेपण की लागत बढ़ती है तथा मानव मिशन वि फ्रिक्वेंट प्रक्षेपण संभव नहीं है।
- RLV ऐसा प्रक्षेपण यान है जो पेलोड (सैटेलाइट, स्पेसक्राफ्ट) को अंतरिक्ष में लॉन्च करने के बाद पुनः पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करता है तथा उच्च ताप व उच्च दाब की परिस्थितियों को सहन करते हुए लक्षित स्थान पर लैंड करता है। इस प्रकार RLV को एक से अधिक बार प्रक्षेपित किया जा सकता है।
- सन् 2016 में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने RLV-TD (Reusable Launch Vehicle-Technology Demonstrator) का सफल परीक्षण किया था।
- RLV में स्क्रैमजेट इंजन (Scramjet Engine) का प्रयोग किया गया है।
- RLV के तहत निम्नलिखित परीक्षण किए गए-
- (A) हाइपरसोनिक फ्लाइट (Hypersonic Flight)
- (B) हाइपरसोनिक फ्लाइट यूजिंग एयर (Hypersonic Flight Using Air)
- (C) पावर्ड क्रूज फ्लाइट (Powered Cruise Flight)
- (D) ऑटोनॉमस लैंडिंग (Autonomous Landing)
RLV के महत्व (Significance of RLV)-
- RLV के कारण प्रक्षेपण की लागत में कमी होगी।
- RLV के उपयोग से फ्रिक्वेंट प्रक्षेपण संभव हो सकते हैं।
- RLV के उपयोग से मानव मिशन संभव हो सकते हैं।
- RLV के उपयोग से अंतरिक्ष अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा।
- RLV के उपयोग से आय में वृद्धि होगी।
- RLV के उपयोग से अंतरिक्ष मलबे की समस्या पर लगाम लगेगी।
- RLV के उपयोग से अंतरिक्ष विज्ञान एव तकनीकी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर भारत व इसरो की साख में वृद्धि होगी।
(II) SSVL-
- SSLV = Small Satellite Launch Vehicle
- SSLV = लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान या स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल
- SSLV इसरो के द्वारा निर्मित प्रक्षेपण यान है।
- SSLV को इसरो का बेबी रॉकेट भी कहते हैं।
- SSLV को 15 दिन में असेंबल किया जा सकता है।
- SSLV छोटे सैटेलाइट (माइक्रो सैटेलाइट/ नैनो सैटेलाइट) ले जाने में सक्षम है।
- SSLV 500 किलोग्राम तक का पेलोड निम्न भू कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) में ले जाने में सक्षम है।
- SSLV 300 किलोग्राम तक का पेलोड सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (Sun Synchronous Orbit) में ले जाने में सक्षम है।
- SSLV मल्टीपल ऑर्बिटल ड्रॉप ऑफ (Multiple Orbital Drop-offs) क्षमता से युक्त है।
- SSLV में 3 स्टेज ठोस प्रणोदक का उपयोग किया जाएगा।
SSLV के महत्व (Significance of SSLV)-
- SSLV से प्रक्षेपण की लागत में कमी आयेगी।
- SSLV से फ्रिक्वेंट प्रक्षेपण संभव हो सकेंगे।
- SSLV से आय में वृद्धि होगी।
(III) NGLV-
- NGLV = Next Generation Launch Vehicle
- NGLV = नेक्स्ट-जेन लॉन्च व्हीकल
- NGLV इसरो के मुख्य प्रक्षेपण यान के रूप में PSLV को प्रतिस्थापित करेगा। अर्थात् PSLV के स्थान पर NGLV इसरो का मुख्य प्रक्षेपण यान बनेगा।
- NGLV में सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (Semi-Cryogenic Engine) का उपयोग किया जायेगा।
- सन् 2030 तक NGLV को विकसित करने की संभावना है। अर्थात् सन् 2030 तक इसरो के द्वारा NGLV का परीक्षण किया जा सकता है।