वाक्य

वाक्य


वाक्य की परिभाषा-

  • सार्थक शब्दों का वह व्यवस्थित समूह जो किसी भाव या विचार को पूरी तरह से व्यक्त करता है उसे वाक्य कहते हैं। जैसे-

  • राम पुस्तक पढ़ता है।


वाक्य के अंग या अवयव-

  • वाक्य के 2 अंग या अवयव होते हैं जैसे-
  • 1. उद्देश्य
  • 2. विधेय


1. उद्देश्य-

  • वाक्य में जिस विषय या वस्तु के बारे में बताया जाता है उसे उद्देश्य कहते हैं।

  • वाक्य के उद्देश्य भाग को कर्ता भी कहा जाता है।


उद्देश्य का विस्तार-

  • वाक्य में कर्ता का विशेषण उद्देश्य का विस्तार कहलाता है।


उद्देश्य तथा उद्देश्य के विस्तार का उदाहरण-

  • जंगल का राजा शेर दहाड़ता है।
  • उपर्युक्त वाक्य में उद्देश्य का विस्तार- जंगल का राजा
  • उपर्युक्त वाक्य में उद्देश्य- शेर
  • उपर्युक्त वाक्य में विधेय- दहाड़ता


2. विधेय-

  • वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ भी बताया जाता है उसे विधेय कहते हैं।

  • वाक्य के विधेय भाग को क्रिया भी कहा जाता है।


विधेय का विस्तार-

  • वाक्य में कर्ता और क्रिया के मध्य का भाग विधेय का विस्तार करलाता है।


विधेय तथा विधेय के विस्तार का उदाहरण-

  • राम पुस्तक पढ़ता है।
  • उपर्युक्त वाक्य में उदेश्य- राम
  • उपर्युक्त वाक्य में विधेय का विस्तार- पुस्तक
  • उपर्युक्त वाक्य में विधेय- पढ़ता


उद्देश्य, उद्देश्य का विस्तार, विधेय तथा विधेय का विस्तार के उदाहरण-

  • 1. विश्व के महान बल्लेबाज तेन्दुलकर ने एक ओवर में पाँच छक्के लगाये।
  • उपर्युक्त वाक्य में उद्देश्य का विस्तार- विश्व के महान बल्लेबाज
  • उपर्युक्त वाक्य में उद्देश्य- तेन्दुलकर ने
  • उपर्युक्त वाक्य में विधेय का विस्तार- एक ओवर में पाँच छक्के
  • उपर्युक्त वाक्य में विधेय- लगाये
  • 2. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
  • उपर्युक्त वाक्य में उद्देश्य का विस्तार- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री
  • उपर्युक्त वाक्य में उद्देश्य- पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने
  • उपर्युक्त वाक्य में विधेय का विस्तार- स्वतंत्रता संग्राम में
  • उपर्युक्त वाक्य में विधेय- भाग लिया


वाक्य के भेद-

  • वाक्य के 11 भेद होते हैं जिनको निम्नलिखित आधारों में विभाजित किया गया है। जैसे-
  • (अ) रचना के आधार पर वाक्य के भेद- 3 भेद
  • (ब) अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद- 8 भेद


(अ) रचना के आधार पर वाक्य के भेद-

  • रचना के आधार पर वाक्य के 3 भेद होते हैं। जैसे-
  • 1. सरल वाक्य
  • 2. संयुक्त वाक्य
  • 3. मिश्रित वाक्य


1. सरल वाक्य-

  • वह वाक्य जिसमें एक उद्देश्य तथा एक ही विधेय हो या एक ही क्रिया हो उस वाक्य को सरल वाक्य कहते हैं। जैसे-
  • राम दूध पीता है।
  • राम और श्याम पुस्तक पढ़ते हैं।
  • सीता गाना गाती है।
  • मोहन खेल रहा है।


2. संयुक्त वाक्य-

  • वह वाक्य जिसमें दो वाक्य या उपवाक्य स्वतंत्र रूप से किसी योजक शब्द के द्वारा जुड़े होते हैं उस वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते हैं।
  • संयुक्त वाक्यों में अधिकांशतः और, तथा, अथवा, या, किन्तु, परन्तु, लेकिन आदि योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
  • मोहन बुद्धिमान है परन्तु ईमानदार नहीं।
  • हम आये और तुम चल दिए।
  • राम पुस्तक पढ़ता है लेकिन श्याम नहीं।


3. मिश्रित वाक्य-

  • वह वाक्य जिसमें पहला वाक्य प्रधान हो और दूसरा वाक्य उप पर आश्रित या उसका कारण रहा हो उस वाक्य को मिश्रित वाक्य कहते हैं। जैसे-
  • यदि मैं पढ़ता तो आज मेरी यह दुर्दशा नहीं होती।
  • यदि मैं पढ़ता तो आज मुझे नौकरी मिल जाती।
  • मैं प्रसन्न हूँ कि आपको नौकरी मिल गई।


(ब) अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद-

  • अर्थ के आधार पर वाक्य के 8 भेद होते हैं। जैसे-
  • 1. विधान वाचक वाक्य
  • 2. निषेध वाचक वाक्य
  • 3. आज्ञा वाचक वाक्य
  • 4. प्रश्न वाचक वाक्य
  • 5. विस्मयादि बोधक वाक्य
  • 6. इच्छा वाचक वाक्य
  • 7. सन्देह वाचक वाक्य
  • 8. संकेत वाचक वाक्य या हेतु वाचक वाक्य


1. विधान वाचक वाक्य-

  • वह वाक्य जिसमें किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती हो उस वाक्य को विधान वाचक वाक्य कहते हैं। अर्थात् विधान वाचक वाक्य में किसी कार्य का करना या होना पाया जाता है। जैसे-
  • श्याम विद्यालय जाता है।
  • हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है।
  • मोहन घर जा रहा है।


2. निषेध वाचक वाक्य-

  • जिन वाक्यों में किसी कार्य के न होने का बोध होता हो उन वाक्यों को निषेध वाचक वाक्य कहते हैं। अर्थात् निषेध वाचक वाक्य में नकारात्मक वाक्यों का प्रयोग होता है। जैसे-
  • माताजी खाना नहीं बना रही है।
  • आजकल मोहन समय पर गृहकार्य नहीं कर रहा है।
  • गीता खाना नहीं खा रही है।


3. आज्ञा वाचक वाक्य-

  • जिन वाक्यों में आज्ञा या आदेश, उपदेश, प्रार्थना, अनुमति आदि का बोध होता हो उन वाक्यों को आज्ञा वाचक वाक्य कहते हैं। अर्थात् आज्ञा वाचक वाक्य में किसी कार्य के करने की आज्ञा या आदेश दिया जाता है। जैसे-

  • तुम अपना गृहकार्य पूरा करो।
  • राशन की दूकान से दो किलो चीनी लाओ।
  • तुम अपना पाठ याद करो।


4. प्रश्न वाचक वाक्य-

  • जिन वाक्यों में प्रश्न पूछने का भाव हो उन वाक्यों को प्रश्न वाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
  • राम कहाँ जा रहा है?
  • तुम किससे मिलने आये हो?
  • कम्प्यूटर का आविष्कार किसने किया?
  • कुएँ पर कौन पानी भर रहा है?

  • प्रश्न वाचक वाक्यों में अन्त में प्रश्नवाचक चिह्न (?) लगा होता है।


5. विस्मयादि बोधक वाक्य-

  • जिन वाक्यों में आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा आदि भाव व्यक्त किये गये हो उन वाक्यों को विस्मयादि बोधक वाक्य कहते हैं।
  • विस्मयादि बोधक वाक्यों में सामान्यतः विस्मयादि बोधक चिह्न (!) का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
  • हे राम! तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।
  • हाय राम! मैं तो कंगाल हो गया।
  • छिः छिः! आप इतना गंदा पानी पीते है।
  • ओह! कितना ठंडा दिन है।
  • हाय! कितनी गंदी लड़की है।
  • हे भगवान! यह तुमने मेरे साथ क्या किया है।

  • शाबाश बेटा! मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।


6. इच्छा वाचक वाक्य-

  • जिन वाक्यों में किसी इच्छा, आशा, आशीर्वाद तथा शुभकामना का बोध होता है उन वाक्यों को इच्छा वाचक वाक्य कहते हैं। अर्थात् इच्छा वाचक वाक्य में किसी कार्य के पूरा होने की इच्छा व्यक्त की जाती है। जैसे-
  • आपका दिन मंगलमय हो।
  • भगवान करे कि तुम सुखी जीवन बिताओ।
  • तुम अपने कार्य में सफल रहो।
  • भगवान करे तुम्हारी उम्र लम्बी हो।


7. सन्देह वाचक वाक्य-

  • जिन वाक्यों में किसी कार्य के होने पर सन्देह (शंका) व्यक्त किया जाता है और अनुमान लगाया जाता है उन वाक्यों को सन्देह वाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
  • आज वर्षा हो सकती है।
  • हो सकता है भारत भी इस बार वर्ल्ड कप में जीत जाये।
  • शायद मैं आज बाहर जाऊँ।
  • शायद वह मान जाए।
  • शायद ही वह ठीक होगा।


8. संकेत वाचक वाक्य या हेतु वाचक वाक्य-

  • जिन वाक्यों में किसी कार्य के होने का कारण भी व्यक्त किया जाता है उन वाक्यों को संकेत वाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
  • यदि बरसात अच्छी होगी तो फसल भी अच्छी होगी।
  • यदि आप पढ़ोगे तो नौकरी भी मिलेगी।
  • संकेत वाचक वाक्य को हेतु वाचक वाक्य भी कहा जाता है।


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