यण् सन्धि

यण् सन्धि


यण् सन्धि नियम-

  • यदि इ/ई, उ/ऊ, ऋ के बाद असमान स्वर आये तो इ/ई के स्थान पर 'य्', उ/ऊ के स्थान पर 'व्' तथा ऋ के स्थान पर 'र्' हो जाता है।

यह आये तोके स्थान पर
इ/ईय्
उ/ऊव्
र्


यण् सन्धि के उदाहरण (इ/ई =य्)

  • यदि + अपि = यद्यपि (यद् +  + अपि = यद् + य् + अपि = यद्यपि)
  • नि + ऊन = न्यून
  • अति + अन्त = अत्यन्त
  • अति + अधिक = अत्यधिक
  • अति + उक्ति = अत्युक्ति
  • परि + आप्त = पर्याप्त
  • वि + अय = व्यय
  • वि + आयाम = व्यायाम
  • अति + आचार = अत्याचार
  • प्रति + एक = प्रत्येक
  • प्रति + आशा = प्रत्याशा
  • परि + आवरण = पर्यावरण
  • अधि + अक्ष = अध्यक्ष
  • रीति + अनुसार = रीत्यनुसार
  • नदी + आमुख = नद्यामुख
  • नदी + अम्ब = नद्यम्बु
  • गति + अवरोध = गत्यवरोध
  • नारी + उत्थान = नार्युत्थान
  • द्वि + अर्थी = द्व्यर्थी (द् + व्यर्थी)
  • पृथ्वी + आधार = पृथ्व्याधार
  • स्त्री + उचित = स्त्रयुचित
  • अधि + ऊढ़ा = अध्यूढ़ा
  • उपरि + उक्त = उपर्युक्त
  • सखी + ऐक्य = सख्यैक्य
  • अति + ऊष्ण = अत्यूष्ण
  • वाणी + औचित्य = वाण्यौचित्य
  • इति + आदि = इत्यादि
  • अभि + उदय = अभ्युदय
  • दधि + ओदन = दध्योदन
  • मही + आधार = मह्याधार
  • स्त्री + उद्धार = स्त्र्युद्धार
  • वि + उत्पत्ति = व्युत्पत्ति
  • प्रति + आरोपण = प्रत्यारोपण
  • शक्ति + आराधना = शक्त्याराधना
  • परि + अटन = पर्यटन
  • जाति + एकता = जात्येकता
  • देवी + अर्पण = देव्यर्पण
  • नदी + अन्त = नद्यन्त
  • सखी + आगमन = सख्यागमन
  • ध्वनि + आलोक = ध्वन्यालोक
  • गति + अनुसार = गत्यनुसार
  • परि + अंक = पर्यंक
  • ध्वनि + अर्थ = ध्वन्यर्थ
  • नि + आय = न्याय
  • वि + अर्थ = व्यर्थ
  • देवी + अर्पित = देव्यर्पित
  • प्रति + अर्पण = प्रत्यर्पण
  • अभि + अर्थी = अभ्यर्थी
  • अभि + उदय = अभ्युदय
  • वि + अस्त = व्यस्त


यण् सन्धि के उदाहरण (उ/ऊ = व्)

  • सु + आगत = स्वागत (स् +  + आगत = स् + व् + आगत = स्वागत)
  • प्रभु + आदेश = प्रभ्वादेश
  • मधु + अरि = मध्वरि
  • सु + अच्छ = स्वच्छ
  • धातु + इक = धात्विक
  • साधु + आचरण = साध्वाचरण
  • शिशु + ऐक्य = शिश्वैक्य
  • अनु + एषण = अन्वेषण
  • परमाणु + अस्त्र = परमाण्वस्त्र
  • सिंधु + अर्चना = निंध्वर्चना
  • गुरु + औदार्य = गुवौदार्य
  • अनु + इति = अन्विति
  • गुरु + आज्ञा = गुर्वाज्ञा
  • भानु + आगमन = भान्वागमन
  • वधू + आगमन = वध्वागमन
  • मधु + आलय= मध्वालय
  • चमू + आक्रमण = चम्वाक्रमण
  • शिशु + अंग = शिश्वंग
  • विष्णु + आराधना = विष्ण्वाराधना
  • अनु + ईक्षा = अन्वीक्षा
  • वधु + आचरण = वध्वाचरण
  • वधु + ऐश्वर्य = वध्वैश्वर्य
  • मनु + अन्तर = मन्वन्तर
  • मधु + आचार्य = मध्वाचार्य
  • अनु + अय = अन्वय


यण् सन्धि के उदाहरण (ऋ = र्)-

  • मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा (मात् +  + आज्ञा = मात् + र् + आज्ञा = मात्राज्ञा)
  • मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा
  • मातृ + उपदेश = मात्रुपदेश
  • मातृ + आदेश = मात्रादेश
  • पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
  • पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा
  • पितृ + अनुमति = पित्रनुमति
  • पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश
  • पितृ + आलय = पित्रालय
  • धातृ + अंश = छात्रंश
  • स्वस्तृ + इच्छा = स्वस्त्रिच्छा
  • वकतृ + उद्वोधन = वक्त्रुद्वोधन
  • श्रोतृ + उत्कण्ठा = श्रोत्रुत्कण्ठा
  • श्रोतृ + उत्सुकता = श्रोत्रुत्सुकता
  • भ्रातृ + उत्कण्ठा = भ्रात्रुत्कण्ठा


यण् सन्धि की पहचान-

  • यण् सन्धि युक्त शब्दों में अधिकांशतः य्, व्, र् से पहले आधा वर्ण आता है और इनका विच्छेद इन्हीं वर्णों से किया जाता है।


टिप्पणी- यण् सन्धि में कोई अपवाद नहीं होता है।

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