स्वर (Vowel)
स्वर-
- वे वर्ण जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सके स्वर कहलाते हैं। अर्थात् वे वर्ण जिनका उच्चारण अन्य किसी वर्ण की सहायता के बिना किया जा सके स्वर कहलाते हैं।
हिन्दी में स्वरों की संख्या-
- हिन्दी भाषा में स्वरों की संख्या 11 होती है। जबकि 11 स्वरों पर मात्राओं की संख्या 10 होती है।
टिप्पणी-
- हिन्दी भाषा के 'स्वर' को संस्कृत भाषा में 'अच्' कहा जाता है।
हिन्दी भाषा के 11 स्वर निम्नलिखित है।-
- स्वर- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
- मात्राएँ- (×), ा, ि, ी, ु, ू, ृ, े, ै, ो, ौ
हिन्दी भाषा में स्वर एवं स्वर की मात्राएँ-
क्र.सं. | स्वर | स्वर की मात्राएं |
---|---|---|
1 | अ | कोई मात्रा नहीं |
2 | आ | ा |
3 | इ | ि |
4 | ई | ी |
5 | उ | ु |
6 | ऊ | ू |
7 | ऋ | ृ |
8 | ए | े |
9 | ऐ | ै |
10 | ओ | ो |
11 | औ | ौ |
टिप्पणी-
- 'अ' एक ऐसा स्वर है जिसकी कोई मात्रा नहीं होती है।
स्वर के भेद-
- स्वर के दो भेद होते हैं। जैसे-
- 1. हृस्व स्वर
- 2. दीर्घ स्वर
1. हृस्व स्वर-
- जिन स्वरों के उच्चारण में कम से कम समय लगता है उन स्वरों को हृस्व स्वर कहते हैं।
- हिन्दी भाषा में हृस्व स्वरों की संख्या चार होती है। जैसे- अ, इ, उ, ऋ
- संस्कृत भाषा में हृस्व स्वरों की संख्या पाँच होती है। जैसे- अ, इ, उ, ऋ, लृ
- हृस्व स्वरों को लघु स्वर भी कहते हैं।
- हृस्व स्वरों को मूल स्वर भी कहते हैं।
- हृस्व स्वरों को रूढ़ स्वर भी कहते हैं।
2. दीर्घ स्वर-
- वे स्वर जिनके उच्चारण में हृस्व स्वरों से दुगुना समय लगता है उन स्वरों को दीर्घ स्वर कहते है।
- हिन्दी भाषा में दीर्घ स्वरों की संख्या सात होती है। जैसे- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
- संस्कृत भाषा में दीर्घ स्वरों की संख्या आठ होती है। जैसे- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, ऋ
- दीर्घ स्वरों को गुरु स्वर भी कहते हैं।
- दीर्घ स्वरों को सन्धि स्वर भी कहते हैं।
- दीर्घ स्वरों को यौगिक स्वर भी कहते है।