विसर्ग सन्धि
विसर्ग सन्धि परिभाषा-
- विसर्ग (ः) के बाद स्वर या व्यञ्जन आने पर उनके मेल से जो विकार उत्पन्न होता है। उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं। जैसे-
- निः + आहार = निराहार
- मनः + हर = मनोहर
विसर्ग सन्धि के नियम-
- विसर्ग सन्धि नियम-1
- विसर्ग सन्धि नियम-2
- विसर्ग सन्धि नियम-3
विसर्ग सन्धि नियम-1
- यदि विसर्ग (ः) से पहले 'अ' को छोड़कर अन्य कोई स्वर आये तथा विसर्ग के बाद किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा व पाँचवा वर्ण, अन्तःस्थ वर्ण या कोई स्वर आये तो विसर्ग (ः) का 'र्' हो जाता है।
विसर्ग सन्धि नियम-1 उदाहरण
- निः + गुण = निर्गुण
- निः + आहार = निराहार
- निः + अर्थक = निरर्थक
- निः + अपराध = निरपराध
- निः + धन = निर्धन
- निः + मल = निर्मल
- निः + बल = निर्बल
- निः + उपाय = निरुपाय
- निः + दोष = निर्दोष
- निः + लिप्त = निर्लिप्त
- दुः + बुद्धि = दुर्बुद्धि
- दुः + गन्ध = दुर्गन्ध
- दुः + आचार = दुराचार
- दुः + व्यवस्था = दुर्व्यवस्था
- दुः + गति = दुर्गति
- दुः + जन = दुर्जन
- दुः + घटना = दुर्घटना
- दुः + अवस्था = दुरवस्था
- आयुः + वेद = आयुर्वेद
- आशीः + वाद = आशीर्वाद
- पुनः + उक्ति = पुनरुक्ति
- बहिः + अंग = बहिरंग
- निः + ईश्वर = निरीश्वर
- निः + विकार = निर्विकार
- निः + विघ्न = निर्विघ्न
- निः + जन = निर्जन
- दुः + भावना = दुर्भावना
विसर्ग सन्धि नियम-1 अपवाद
- पुनः + जन्म = पुनर्जन्म
विसर्ग सन्धि नियम-2
- यदि विसर्ग से पहले 'अ' हो तथा विसर्ग के बाद किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां वर्ण, अन्तःस्थ वर्ण या ऊष्म वर्ण आये तो 'अ' और विसर्ग दोनों का 'ओ' हो जाता है।
विसर्ग सन्धि नियम-2 उदाहरण
- मनः + ज = मनोज (मन् + अः + ज = मन् + ओ + ज = मनोज)
- मनः + विज्ञान = मनोविज्ञान
- मनः + हर = मनोहर
- मनः + रथ = मनोरथ
- मनः + बल = मनोबल
- मनः + विकार = मनोविकार
- मनः + रंजन = मनोरंजन
- सरः + ज = सरोज
- सरः + वर =सरोवर
- पयः + द = पयोद
- यशः + दा = यशोदा
- यशः + गान = यशोगान
- यशः + गाथा = यशोगाथा
- यशः + वर्धन = यशोवर्धन
- तमः + गुण = तमोगुण
- वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
- अधः + गति = अधोगति
- रजः + गुण = रजोगुण
- तपः + भूमि = तपोभूमि
- पयः + धर = पयोधर
- तपः + लाभ = तपोलाभ
- अधः + वस्त्र = अधोवस्त्र
- अधः + मुख = अधोमुख
- दिवः + ज्योति = दिवोज्योति
- मनः + योग = मनोयोग
- मनः + योग = मनोयोग
- मनः + वृत्ति = मनोवत्ति
- मनः + विचार = मनोविचार
- मनः + मंथन = मनोमंथन
- तपः + बल = तपोबल
- तपः + धन = तपोधन
- शिरः + भूषण = शिरोभूषण
विसर्ग सन्धि नियम-3
- यदि विसर्ग से पहले और विसर्ग के बाद 'अ/आ' आये तो प्रथम 'अ' और विसर्ग का 'ओ' हो जाता है तथा दूसरे 'अ/आ' का लोप हो जाता है।
विसर्ग सन्धि नियम-3 उदाहरण
- अन्यः + अन्य = अन्योन्य (अन्यः + अन्य = अन्य् + अः + अन्य = अन्य् + ओ + अन्य = अन्योन्य)
- यशः + अभिलाषी = यशोभिलाषी
- मनः + अभिलाषा = मनोभिलाषा
- प्रथमः + अध्याय = प्रथमोध्याय
- मनः + अभिराम = मनोभिराम
- मनः + आनन्द = मनोनन्द
- मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
- मनः + आकांक्षा = मनोकांक्षा
विसर्ग सन्धि नियम-4
- यदि विसर्ग के बाद 'च्', 'छ्' या 'श्' वर्ण आये तो विसर्ग का 'श्' हो जाता है।
विसर्ग सन्धि नियम-4 उदाहरण
- कः + चित् = कश्चित्
- निः + चय = निश्चय
- निः + चल = निश्चल
- निः + छिद्र = निश्छिद्र
- निः + शंक = निश्शंक
- निः + चेतना = निश्चेतना
- निः + छल = निश्छल
- पुनः + च = पुनश्च
- मनः + चेतना = मनश्चेतना
- पुनः + चर्या = पुनश्चर्या
- यशः + शरीर = यशश्शरीर
- तपः + चर्या = तपश्चर्या
विसर्ग सन्धि नियम-5
- यदि विसर्ग से पहले 'इ' या 'उ' हो तथा विसर्ग के बाद 'क्', 'ट्', 'प्' 'फ्' वर्ण आये तो विसर्ग का 'ष्' हो जाता है।
विसर्ग सन्धि नियम-5 उदाहरण
- दुः + फल = दुष्फल
- दुः + कर्म = दुष्कर्म
- निः + कपट = निष्कपट
- निः + कलंक = निष्कलंक
- निः + पाप = निष्पाप
- निः + कर्म = निष्कर्म
- निः + पादन = निष्पादन
- निः + फल = निष्फल
- निः + काम = निष्काम
- चतुः + पाद = चतुष्पाद
- बहिः + कृत = बहिष्कृत
- धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
विसर्ग सन्धि नियम-6
- यदि विसर्ग से पहले 'अ/आ' हो और विसर्ग के बाद 'क्', 'प्', 'त्' वर्ण आये तो विसर्ग का 'स्' हो जाता है।
विसर्ग सन्धि नियम-6 उदाहरण
- नमः + ते = नमस्ते
- नमः + कार = नमस्कार
- पुरः + कार = पुरस्कार
- भाः + कृत = भास्कृत
- भाः + कर = भास्कर
- तिरः + कार = तिरस्कार
- मनः + ताप = मनस्ताप
- वाचः + पति = वाचस्पति
- श्रेयः + कर = श्रेयस्कर
विसर्ग सन्धि नियम-6 अपवाद
- विः + तार = विस्तार
- विः + तृत = विस्तृत
विसर्ग सन्धि नियम-7
- यदि विसर्ग के बाद 'र्' वर्ण आये तो विसर्ग से पहले लघु मात्रा को दीर्घ मात्रा में बदल देते हैं। तथा विसर्ग का लोप हो जाता है।
विसर्ग सन्धि नियम-7 उदाहरण
- निः + रव = नीरव
- निः + रोग = नीरोग
- निः + रस = नीरस
- दुः + राज = दूराज
टिप्पणी- (निः + रज = नीरज) नीरज शब्द की सन्धि नहीं होती है।, नीरज शब्द एक समास युक्त शब्द है।