वर्ण
वर्ण-
- हिन्दी भाषा की वह छोटी से छोटी ध्वनी जिसके और अधिक खंड या टुकड़े न किये जा सके वर्ण कहलाते हैं।
वर्णमाला-
- वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।
वर्णों की संख्या-
- हिन्दी वर्णमाला में वर्णों की संख्या 44 होती है।
- हिन्दी बाल पोथी में वर्णों की संख्या 49 होती है।
- देवनागरी हिन्दी लिपि में वर्णों की संख्या 52 होती है।
वर्ण के भेद-
- वर्ण के दो भेद होते हैं। जैसे-
- 1. स्वर
- 2. व्यञ्जन या व्यंजन
1. हिन्दी भाषा में स्वरों की संख्या 11 होती है।
2. हिन्दी भाषा में व्यञ्जनों या व्यंजनों की संख्या 33 होती है।
टिप्पणी-
➠'व्यंजन' शब्द का अधिक सही रूप 'व्यञ्जन' शब्द होता है। अर्थात् व्यजंन तथा व्यञ्जन दोनों शब्दों में अधिक सही 'व्यञ्जन' शब्द है।
संयुक्त वर्ण-
- दो व्यञ्जनों या व्यंजनों के मेल से बने वर्ण संयुक्त वर्ण कहलाते हैं।
- संयुक्त वर्णों की संख्या 4 होती है। जैसे- क्ष्, त्र्, ज्ञ्, श्र्
क्र.सं. | व्यञ्जन | संयुक्त वर्ण |
---|---|---|
1 | क् + ष् | क्ष् |
2 | त् + र् | त्र् |
3 | ज् + ञ् | ज्ञ् |
4 | श् + र् | श्र् |
हिन्दी शब्दकोष में संयुक्त वर्णों का स्थान-
- संयुक्त वर्ण 'क्ष्'
- संयुक्त वर्ण 'त्र्'
- संयुक्त वर्ण 'ज्ञ्'
- संयुक्त वर्ण 'श्र्'
क्र.सं. | संयुक्त वर्ण | संयुक्त वर्ण का स्थान |
---|---|---|
1 | क्ष् | क् _ ख् |
2 | त्र् | त् _ थ् |
3 | ज्ञ् | ज् _ झ् |
4 | श्र् | श् _ ष् |
1. हिन्दी शब्दकोष में संयुक्त वर्ण 'क्ष्' का स्थान-
- हिन्दी शब्दकोश में संयुक्त वर्ण 'क्ष्' का स्थान क् तथा ख् के मध्य में आता है।
- हिन्दी शब्दकोष में संयुक्त वर्ण 'त्र्' का स्थान त् तथा थ् के मध्य में आता है।
- हिन्दी शब्दकोष में संयुक्त वर्ण 'ज्ञ्' का स्थान ज् तथा झ् के मध्य में आता है।
4. हिन्दी शब्दकोष में संयुक्त वर्ण 'श्र्' का स्थान-
- हिन्दी शब्दकोष में संयुक्त वर्ण 'श्र्' का स्थान श् तथा ष् के मध्य में आता है।
अनुस्वार-
- अन्तःस्थ वर्ण, ऊष्म वर्ण तथा संयुक्त वर्ण से पहले 'न' की ध्वनी आती है या नाक में से आवाज आती है तो लिखते समय अनुस्वार या बिंदी (ं) आती है। इसी बिंदी को ही अनुस्वार कहा जाता है।
अनुस्वार के उदाहरण-
- संयम
- संलग्न
- स्वतंत्र
- संसार
- मंत्र
- संवाद
- संख्या
- संहार
- संज्ञा
- संक्षिप्त
- संयुक्त
- पंक्ति
- संध्या
- व्यंग्य
- संस्कार
अनुस्वार के अपवाद-
- अन्य
- सामान्य
- कन्या
अयोगवाह वर्ण-
- वे वर्ण जिनका योग न होने पर भी साथ-साथ चलते हैं जो न तो स्वर होते हैं और न ही व्यञ्जन होते हैं उन्हें अयोगवाह वर्ण कहा जाता है।
- अयोगवाह वर्णों की संख्या 2 होती है।
- अयोगवाह वर्ण जैसे- अं, अः
उत्क्षिप्त वर्ण-
- जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा मूर्धा को स्पर्श कर तुरन्त नीचे गिरती है उन्हें उत्क्षिप्त वर्ण कहा जाता है।
- उत्क्षिप्त वर्णों की संख्या 2 होती है।
- उत्क्षिप्त वर्ण जैसे- 'ड़', 'ढ़'
- हिन्दी भाषा में किसी भी शब्द की शुरुआत उत्क्षिप्त वर्णों से नहीं होती है।
उत्क्षिप्त वर्ण नियम-1
- यदि हिन्दी भाषा में शब्द की शुरुआत उत्क्षिप्त वर्णों ('ड़' 'ढ़') से हो तो लिखते समय इनके नीचे बिंदु नहीं आता है। जैसे- डमरू, ढोलक, ढक्कन, डलिया, डाली आदि।
उत्क्षिप्त वर्ण नियम-2
- यदि हिन्दी भाषा में शब्द के अन्तर्गत उत्क्षिप्त वर्णों ('ड़' 'ढ़') से पहले आधा वर्ण आता है तो लिखते समय इनके नीचे बिंदु नहीं आता है। जैसे- पण्डित, अड्डा, खण्ड, मण्डल, बुड्ढा आदि।
टिप्पणी-
- उत्क्षिप्त वर्ण के उपर्युक्त दोनों नियमों के अलावा प्रत्येक स्थिति में उत्क्षिप्त वर्णों के नीचे बिंदु आता है। जैसे- पढ़ाई, पकड़ना, ढूँढ़ना, सड़क, लड़ाई आदि।
हिन्दी भाषा में 'र' संबंधित नियम-
- नियम-1
- नियम-2
- नियम-3
नियम-1
- यदि 'र' के बाद व्यञ्जन वर्ण आये तो 'र' को उसी व्यञ्जन वर्ण के उपर लिखा जाता है। अर्थात् जिस व्यञ्जन वर्ण से पहले 'र' का उच्चारण किया जाता है 'र' को उसी व्यञ्जन वर्ण के उपर लिखा जाता है। जैसे- कर्म, धर्म, स्वर्ण, अर्थात्, पुनर्निर्माण, दर्शन, वर्ण, पुनर्जन्म, बहिर्मण्डल, आशीर्वाद आदि।
नियम-2
- यदि 'र' से पहले व्यञ्जन वर्ण आये तो 'र' को उसी व्यञ्जन वर्ण के मध्य में लिकते है। जैसे- प्रकाश, प्रेम, क्रम, भ्रम, भ्रष्ट, भ्राता, प्रभात आदि।
नियम-3
- 'ट' वर्ग में 'र' को हमेशा वर्ण के नीचे लिखा जाता है। जैसे- राष्ट्र, षड्राग, षड्रष, ड्रग्स, ड्रामा, ट्रक, ड्राइवर आदि।
हिन्दी शब्दकोष का प्रथम वर्ण-
- हिन्दी शब्दकोष के अनुसार हिन्दी वर्णमाला का प्रथम वर्ण 'अं' है।
- हिन्दी शब्दकोष की शुरुआत अयोगवाह वर्ण 'अं' 'अः' से होती है।
- 'अं' एक अयोगवाह वर्ण है।
- हिन्दी शब्दकोष का प्रथम वर्ण ही अनुस्वार होता है।
हिन्दी शब्दकोष का अंतिम वर्ण-
- हिन्दी शब्दकोष के अनुसार हिन्दी वर्णमाला का अंतिम वर्ण 'ह्' है।
महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-