गुण स्वर सन्धि
गुण स्वर सन्धि नियम-
- गुण स्वर सन्धि नियम-1
- गुण स्वर सन्धि नियम-2
- गुण स्वर सन्धि नियम-3
गुण स्वर सन्धि नियम-1
- यदि 'अ/आ' के बाद 'इ/ई' आये तो दोनों के स्थान पर ए हो जाता है। अर्थात् अ/आ + इ/ई = ए =(े)
गुण स्वर सन्धि नियम-1 उदाहरण
- गज + इन्द्र = गजेन्द्र (गज् + अ + इ + न्द्र = गज् + ए + न्द्र = गजेन्द्र)
- मृग + इन्द्र = मृगेन्द्र
- उमा + ईश = उमेश
- धन + ईश = धनेश
- हृदय + ईश = हृदयेश
- महा + इन्द्र = महेन्द्र
- राजा + इन्द्र = राजेन्द्र
- द्वारका + ईश = द्वारकेश
- मिथिला + ईश = मिथिलेश
- रमा + ईश = रमेश
- सुर + ईश = सुरेश
- नर + ईश = नरेश
- यथा + इच्छा = यथेच्छा
- राका + ईश = राकेश
- गुड़ाका + ईश = गुड़ाकेश
- हृषीक + ईश = हृषीकेश
- खग + ईश = खगेश
- शुभ + इच्छु = शुभेच्छु
- न + इति = नेति
- कमला + ईश = कमलेश
- गण + ईश = गणेश
- दिन + ईश = दिनेश
- भूत + ईश्वर = भूतेश्वर
- स्व + इच्छा = स्वेच्छा
गुण स्वर सन्धि नियम-2
- यदि 'अ/आ' के बाद 'उ/ऊ' आये तो दोनों के स्थान पर 'ओ' हो जाता है। अर्थात् अ/आ + उ/ऊ = ओ = ो
गुण स्वर सन्धि नियम-2 उदाहरण
- नर + उत्तम = नरोत्तम (नर् + अ + उ + त्तम = नर् + ओ + त्तम = नरोत्तम)
- पर + उपकार = परोपकार
- यथा + उचित = यथोचित
- कथा + उपकथन = कथोपकथन
- पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम
- गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
- व्यंग्य + उक्ति = व्यंग्योक्ति
- करुणा + उत्पादक = करुणोत्पादक
- दर्प + उक्ति = दर्पोक्ति
- स्व + उपार्जित = स्वोपार्जित
- स + उत्साह = सोत्साह
- अन्य + उक्ति = अन्योक्ति
- नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा
- जल + ऊर्मि = जलोर्मि
- महा + उदय = महोदय
- पतन + उन्मुख = पतनोन्मुख
- मन्द + उदरी = मन्दोदरी
- सह + उदर = सहोदर
- उच्च + ऊर्ध्व = उच्चोर्ध्व
- साहित्य + उन्नति = साहित्योन्नति
गुण स्वर सन्धि नियम-3
- यदि 'अ/आ' के बाद 'ऋ' आये तो दोनों के स्थान पर 'अर्' हो जाता है। अर्थात् अ/आ + ऋ = अर्
गुण स्वर सन्धि नियम-3 उदाहरण
- देव + ऋषि = देवर्षि (देव् + अ + ऋ + षि = देव् + अर् + षि = देवर्षि)
- महा + ऋद्धि = महर्द्धि
- वर्षा + ऋतु = वर्षर्तु
- देव + ऋषभ = देवर्षभ
- साम + ऋचा = सामर्चा
- शीत + ऋतु = शीतर्तु
- कण्व + ऋषि = कण्वर्षि
- सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
- ग्रीष्म + ऋतु = ग्रीष्मर्तु
- महा + ऋषि = महर्षि
- राजा + ऋषि = राजर्षि
- महा + ऋण = महर्ण
गुण स्वर सन्धि अपवाद-
- प्र + ऊढ़ = प्रौढ़
- स्व + ईरिणी = स्वैरिणी
- अक्ष + ऊहिनी = अक्षौहिणी
गुण स्वर सन्धि की पहचान-
- गुण स्वर सन्धि युक्त शब्दों में अधिकांशतः ए, ओ की मात्राएँ (े, ो) या आधा 'र्' आता है और इनका विच्छेद इन्हीं मात्राओं से किया जाता है।
Nice
ReplyDeleteThanks
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