दीर्घ स्वर सन्धि
दीर्घ स्वर सन्धि का नियम
- यदि हृस्व या दीर्घ स्वर (अ, इ, उ) के बाद समान हृस्व या दीर्घ स्वर आये तो दोनों के स्थान पर दीर्घ एकादेश होता है।
- एकादेश का अर्थ है- दो के स्थान पर एक होना।
क्र.सं. | मात्रा | ||
---|---|---|---|
1 | अ + अ | आ | ा |
2 | अ + आ | आ | ा |
3 | आ + अ | आ | ा |
4 | आ + आ | आ | ा |
दीर्घ स्वर सन्धि के उदाहरण
- युग + अन्तर = युगान्तर (युग् + अ + अ + न्तर = युगान्तर, अ + अ = आ)
- राम + अनुज = रामानुज (राम् + अ + अ + नुज = राम् + आ + नुज = रामानुज)
- तथा + अपि = तथापि
- कपि + ईश = कपीश
- मुनि + इन्द्र = मुनीन्द्र
- लघु + उत्तर = लघूत्तर
- हिम + आलय = हिमालय
- लघू + ऊर्मि = लघूर्मि
- भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
- सत्य + अर्थी = सत्यार्थी
- प्रेरणा + आस्पद = प्रेणास्पद
- शश + अंक = शशांक
- रजनी + ईश = रजनीश
- महती + इच्छा = महतीच्छा
- फणी + ईश = फणीश
- मुर + अरि = मुरारि
- कुश + आसन = कुशासन
- दीप + अवली = दीपावली
- गीत + अंजलि = गीतांजलि
- गुरु + उपदेश = गुरुपदेश
- वधू + उत्सव = वधूत्सव
- मुक्ता + अवली = मुक्तावली
- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
- विद्या + आलय = विद्यालय
- स्व + अधीन = स्वाधीन
- दैत्य + अरि = दैत्यारि
- कारा + आगार = कारागार
- सप्त + अहन् = सप्ताह (न् का लोप)
- द्राक्षा + आसव = द्राक्षासव
- अभि + ईप्सा = अभीप्सा
- वारि + ईश = वारीश
- मही + ईश = महीश
- रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
- अभि + इष्ट = अभीष्ट
- सु + उक्ति = सूक्ति
- कट + उक्ति = कटूक्ति
- चमू + उत्साह = चमूत्साह
- सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि
- श्री + ईश = श्रीश
- वि + ईक्षण = वीक्षण
- जन + अर्दन = जनार्दन
- अर + अवली = अरावली
- दीक्षा + अन्त = दीक्षान्त
- मुक्त + आकाश = मुक्ताकाश
- दाव + अनल = दावानल
- सहस्र + अष्दी = सहस्राष्दी
- प्राण + आयाम = प्राणायाम
- देश + अटन = देशाटन
- अन्त्य + अक्षरी = अन्त्याक्षरी
- दिवस + अवसान = दिवसावसान
- बहु + ऊर्जा = बहूर्जा
- पंच + अमृत = पंचामृत
- यती + ईश = यतीश
- विधु + उदय = विधूदय
- प्र + आंगन = प्रांगण
दीर्घ स्वर सन्धि के उदाहरण (अपवाद)-
- कर्क + अन्धु = कर्कन्धु
- पितृ + ऋण = पितृण
- मातृ + ऋण = मातृण
- शक + अन्धु = शकन्धु
- विश्व + मित्र = विश्वामित्र
- कुल + अटा = कुलटा
- युवन् + अवस्था = युवावस्था
- अप + अंग = अपंग
- मनस् + ईषा = मनीषा
- मूसल + धार = मूसलाधार
अपवाद-
- सामान्य नियम से जो विपरीत जाते हैं वे अपवाद कहलाते हैं।
दीर्घ स्वर सन्धि की पहचान-
- दीर्घ स्वर सन्धि युक्त शब्दों में अधिकांशतः 'आ, ई, ऊ' की मात्राएँ (ा, ी, ू) आती है। और इनका विच्छेद इन्हीं मात्राओं से किया जाता है।